SBI Life Insurance: एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस पर तगड़ा जुर्माना, इरडा ने डेथ क्लेम रिजेक्ट करने पर दी चेतावनी
IRDAI: इरडा ने कहा है कि कंपनी आउटसोर्सिंग और डेथ क्लेम को लेकर सभी गाइडलाइन्स का पालन नहीं कर रही है. साथ ही कंपनी को निर्देश दिया है कि नई आउटसोर्सिंग पॉलिसी बनाई जाए.
IRDAI: इंश्योरेंस सेक्टर के रेगुलेटर इरडा (IRDAI) ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस (SBI Life Insurance) पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना ठोका है. कंपनी पर आउटसोर्सिंग और इंश्योरेंस वेब एग्रीगेटर्स से जुड़े नियमों के उल्लंघन का आरोप था. इसके अलावा इरडा ने इंश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिया है कि वह डेथ क्लेम को लेकर सावधान रहें. ऐसे मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही न की जाए.
कई नियमों और गाइडलाइन्स का किया कंपनी ने उल्लंघन
इरडा ने बताया है कि एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस ने सर्विसेज और फीस से जुड़े एग्रीमेंट किए बिना वेब एग्रीगेटर्स को अपने साथ जोड़ रखा था. इनमें पॉलिसीबाजार (Policybazaar), एमआईसी इंश्योरेंस (MIC Insurance), कंपेयर पॉलिसी (Compare Policy), ईजीपॉलिसी (Easypolicy) और विशफिन (Wishfin) शामिल हैं. इसके अलावा कंपनी ने आउटसोर्सिंग पेमेंट की सही जानकारी भी नहीं दी थी. साथ ही तीन साल पुराने दावों को खारिज कर दिया था. इरडा ने एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस को निर्देश दिया है कि वह सभी नियमों और गाइडलाइन्स के हिसाब से आउटसोर्सिंग पॉलिसी बनाए.
एग्रीमेंट में नियमों को स्पष्ट नहीं कर रही एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस
कंपनी ने दावा किया था कि उन्होंने प्रीमियम रिमाइंडर और पॉलिसी सर्विस असिस्टेंस जैसे पोस्ट सेल काम वेब एग्रीगेटर्स को सौंप दिए हैं. इरडा ने कहा कि इस बारे में एग्रीमेंट में स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है. रेगुलेटर को पता चला है कि कंपनी ने एक्सटेंट मार्केटिंग एंड टेक्नोलॉजीस को वित्त वर्ष 2017-18 से 2018-19 के बीच 1.93 करोड़ रुपये का पेमेंट किया है. एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस ने इस पेमेंट की जानकारी भी नहीं दी थी. कंपनी के वेंडर भी आउटसोर्सिंग के जरिए काम कर रहे थे. उनका 95 फीसदी रेवेन्यू थर्ड पार्टी को ट्रांसफर किया जा रहा था.
इंश्योरेंस क्लेम को खारिज करने में नहीं हुआ नियमों का पालन
इसके अलावा इरडा ने कंपनी से कहा है कि वह इंश्योरेंस एक्ट (Insurance Act) का सही से पालन करे. इरडा के अनुसार, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस ने 21 इंश्योरेंस क्लेम को रिजेक्ट कर दिया था. कंपनी का कहना था कि पॉलिसी जारी होने के तीन साल के भीतर मृत्यु होने के चलते यह क्लाइमं खारिज किए गए थे. हालांकि, इरडा को कंपनी इसके समर्थन में पर्याप्त सबूत नहीं दे पाई थी.
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