लौह अयस्क के दाम एक ही महीने में तीन गुना बढ़े, स्टील और महंगा होने के आसार
अंतरराष्ट्रीय बाजार में लौह अयस्क के दाम दशक के सबसे ऊंचे स्तर पर चल रहे हैं. इस साल इसमें और अधिक इजाफा होने के आसार दिख रहे हैं.
भारत में स्टील कंपनियों की मांग बढ़ने और सप्लाई की दिक्कतों की वजह से लौह अयस्क के दाम एक ही साल में तीन गुना बढ़ गए हैं. ये कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि चीनी कमोडिटी एक्सचेंजों ने इसमें ट्रेडिंग लिमिट और कुछ कॉन्ट्रैक्ट के लिए लिए मार्जिन बढ़ा दिए ताकि दाम कुछ कम हो सकें. ट्रेड विश्लेषकों का मानना है कि भारत में अगले तीन-चार तिमाहियों तक लौह अयस्क की कीमतें ऊंचे स्तर बनी रहेंगीं.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में लौह अयस्क के दाम दशक के सबसे ऊंचे स्तर पर
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में लौह अयस्क के दाम दशक के सबसे ऊंचे स्तर पर चल रहे हैं. इस साल इसमें और अधिक इजाफा होने के आसार दिख रहे हैं. भारत में एनडीएमसी का ढेला लौह अयस्क 6,970 रुपये प्रति टन बिक रहा है. जबकि मई में इसकी कीमत 2,250 रुपये प्रति टन थी. पिछले 11 साल में लौह अयस्क की कीमतें इससे अधिक नहीं गई थीं. पिछले एक महीने में विदेशी कंपनियों और एनडीएमसी दोनों ने अपने फाइन आयरन ओर ( लौह अयस्क) की कीमत 17-18 फीसदी बढ़ा दी है. आने वाले दिनों में एनडीएमसी इनकी कीमत और बढ़ा सकती है.
स्टील की कीमतों में भारी इजाफा
लौह अयस्क महंगा होने की वजह से स्टील कंपनियों ने स्टील की कीमत पिछले महीने 4,500 रुपये प्रति टन बढ़ा दिया था. इस वक्त हॉट रोल्ड क्वायल यानी HRC 65 से 67 हजार रुपये प्रति टन बिक रही है. देश में लौह अयस्क की सप्लाई ओडिशा और छत्तीसगढ़ जैसे उत्पादक राज्यों से लॉकडाउन की वजह से कम हो गई है. यही वजह है इसकी किल्लत पैदा हो रही और दाम बढ़ गए हैं. यहां की 30 खदानों में अब भी आठ से 11 में काम नहीं हो पा रहा है. दुनिया भर में लौह अयस्क के सबसे बड़े उत्पादक देशों में लौह अयस्क की खदानों में कामकाज पर असर पड़ा है.
लौह अयस्क महंगा होने की वजह से स्टील कंपनियों ने स्टील की कीमत पिछले महीने 4,500 रुपये प्रति टन बढ़ा दी थी. इस वक्त हॉट रोल्ड क्वायल यानी HRC 65 से 67 हजार रुपये प्रति टन बिक रही है. देश में लौह अयस्क की सप्लाई ओडिशा और छत्तीसगढ़ जैसे उत्पादक राज्यों से लॉकडाउन की वजह से कम हो गई है. यही वजह है इसकी किल्लत पैदा हो रही और दाम बढ़ गए हैं. यहां की 30 खदानों में अब भी आठ से 11 में काम नहीं हो पा रहा है. दुनिया भर में लौह अयस्क के सबसे बड़े उत्पादक देशों में लौह अयस्क की खदानों में कामकाज पर असर पड़ा है.
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