शेयर बाजार में बीते कई हफ्तों से गिरावट जारी है. ऐसे में निवेशक डरे हुए हैं कि कहीं ये गिरावट और ज्यादा दिनों तक ना देखने को मिले. दरअसल, विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में अपनी हिस्सेदारी तेजी से कम कर रहे हैं, इस वजह से भी बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है. अकेले नवंबर महीने की बात करें तो, भारतीय इक्विटी बाजार से विदेशी निवेशकों ने 22,420 करोड़ रुपये निकाले हैं. वहीं अक्तूबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों से कुल 94,017 करोड़ रुपये की निकासी की थी.
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट
मनीकंट्रोल से बात करते हुए एसबीआई सिक्योरिटीज के सुदीप शाह ने कहा कि बीएसई सेंसेक्स में अभी 200-डे EMA लेवल के आसपास ट्रेडिंग हो रही है. वहीं मोमेंटम इंडिकेटर्स और ओसिलेटर्स भी सेंसेक्स में मजबूत गिरावट के मोमेंटम का संकेत दे रहे हैं. ऐसे में अगर सेंसेक्स 77,400-77,300 (200 Day EMA) के नीचे जाता है तो शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है. वहीं बैंक निफ्टी को लेकर सुदीप शाह ने कहा कि इस इंडेक्स ने 5 वीक कंसॉलिडेशन ब्रेकडाउन दिया है और इसने ब्रेकडाउन वीक पर एक बड़ा बेयरिश कैंडल बनाया है. इसकी वजह से शॉर्ट टर्म में गिरावट का दबाव बढ़ सकता है.
लॉन्ग टर्म में हो सकता है सुधार
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, समको वेंचर्स के सीईओ जिमीत मोदी का कहना है कि इस गिरावट को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है. उनका मानना है कि बाजार का करेक्शन एक सामान्य प्रक्रिया है, जो लॉन्ग टर्म में बाजार के लिए बेहतर है. जिमीत का कहना है कि बाजार में ऐसी गिरावटें अक्सर देखी जाती हैं और ये अधिकतर किसी मजबूत ग्रोथ साइकिल का हिस्सा होती हैं. अगर आप पिछले पांच साल के आंकड़ों को देखें तो पाएंगे कि इस तरह के करेक्शन बाजार में होते रहे हैं और इसके बाद बाजार ने लॉन्ग टर्म में अच्छा प्रदर्शन किया है.
बाजार में इतनी गिरावट क्यों है
भारतीय बाजार में गिरावट के कई कारण हैं. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की बिकवाली के अलावा, मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव और भारतीय कंपनियों की कमजोर तिमाही आय रिपोर्ट ने भी भारतीय बाजार में नकारात्मक भावना को बढ़ाया है. यही वजह है कि निवेशकों को चिंता बाजार की गिरावट को लेकर बढ़ी है.
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