Israel-Hamas Conflict: इजरायल - हमास युद्ध के चलते भारत से यूरोप तक बनने वाले इकोनॉमिक कॉरिडोर पर गहराया संकट, रेलवे - शिपिंग स्टॉक्स हुए धराशायी
India-Middle East-Europe Corridor: भारत से यूरोप तक जो ट्रेड रूट को बनाने की बात की गई वो खाड़ी के देश होते हुए यूरोप तक जाएगा जो अपने साथ आर्थिक फायदा लेकर आएगा साथ ही इसके रणनीतिक मायने भी हैं.
Railway Stocks Update: भारतीय शेयर बाजार में इजरायल और हमास के बीच युद्ध के चलते रेलवे और डिफेंस सेक्टर से जुड़े स्टॉक्स पर बड़ी मार पड़ी है. जिसमें इरकॉन इंटरनेशनल, रेल विकास निगम लिमिटेड शामिल है. कुछ यही हाल शिपिंग और डिफेंस स्टॉक्स का भी रहा जिसमें 5 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली है.
फिलिस्तीन के इस्लामिक संगठन हमास के शनिवार को इजरायल पर हमले और उसके बाद इजरायल की जवाबी कार्रवाई जारी है. इस खबर के चलते दुनियाभर को शेयर बाजार औंधे मुंह जा गिरे. लेकिन इस युद्ध का बड़ा असर रेलवे स्टॉक्स पर पड़ा है तो दिन के ट्रेड में 6 फीसदी तक नीचे जा फिसले. इरकॉन इंटरनेशनल का स्टॉक 6.25 फीसदी की गिरावट के साथ 132.80 रुपये, आईआरएफसी 5.21 फीसदी नीचे गिरकर 70.91 रुपये, रेल विकास निगम लिमिटेड का स्टॉक 5.09 फीसदी की गिरावट के साथ 161.30 रुपये, रेलटेल कॉर्प ऑफ इंडिया 4.68 फीसदी गिरकर 208.70 रुपये के लेवल तक नीचे जा फिसला.
इसके अलावा टेक्समैको रेल 5.06 फीसदी, टीटागढ़ रेलसिस्टम्स 3.61 फीसदी, राइट्स 2.57 फीसदी, और आईआरसीटीसी 2.63 फीसदी की गिरावट के साथ 700.50 रुपये पर क्लोज हुआ है. बाजार को डर है कि इजरायल और हमास के युद्ध का असर भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडॉर जिसकी घोषणा जी-20 बैठक के दौरान सितंबर 2023 में की गई थी वो अधर में लटक सकता है जिसमें खाड़ी के देश से लेकर यूरोप तक रेल लाइन बिछाया जाना था.
इजरायल और हमास के युद्ध के चलते शिपिंग क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है जिसे इस कॉरिडॉर का बड़ा फायदा मिल सकता है. युद्ध के चलते कोचीन शिपयार्ड 3.66 फीसदी की गिरावट के साथ 1033 रुपये, मझगांव डॉक शिपयार्ड 3.56 फीसदी की गिरावट के साथ 2073 रुपये और गार्डन रिच शिपयार्ड 3.80 फीसदी की गिरावट के साथ 785.75 रुपये पर क्लोज हुआ है.
रेलवे के अलावा शिपिंग कंपनियों के लिए भी भारत से यूरोप तक का ये कॉरिडॉर बेहद पॉजिटिव माना जा रहा था. लेकिन इजरायल और हमास के बीच युद्ध के बाद मिडिल ईस्ट में वैश्विक राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई है जिसे निवेशकों के बीच असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है.
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