नई दिल्लीः अक्सर लोग लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस के बारे में बात करते हैं, लेकिन इन सबसे जुड़ा एक और जरूरी इंश्योरेंस होता है. इसके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते. बात कर रहे हैं पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस (दुर्घटना बीमा) की. सुनकर चौंकिए मत यह हेल्थ इंश्योरेंस से अलग होता है, जो एक्सीडेंट की स्थिति में काफी मददगार साबित होता है. अगर इंश्योरेंस के बाद कोई एक्सीडेंट का शिकार हो जाता है और उसके शरीर का कोई हिस्सा खराब हो जाता है, तो ऐसे में यह पॉलिसी एकमुश्त राशि देती है. इस बीमा में व्यक्ति की हादसे में मौत होने पर भी पैसा मिलता है. ध्यान रखें हर कंपनी के बीमा को लेकर अलग नियम होते हैं, ऐसे में बीमा कराने से पहले पूरी जानकारी जरूर लें. आइए इस इंश्योरेंस के बारे में विस्तार से जानते हैं.


क्या होता है यह इंश्योरेंस


पर्सनल एक्सीडेंट इंश्योरेंस अलग-अलग दुर्घटनाओं को कवर करता है. इसमें गैस सिलेंडर ब्लास्ट से लेकर बिजली के झटके तक, बाथरूम में फिसलने, जिम में वर्कआउट करते हुए लगने वाली चोट और पानी में डूबने से लेकर आग लगने से होने वाली हानि तक सभी दुर्घटनाएं व्यक्तिगत दुर्घटना के अंतर्गत आती हैं.


इस इंश्योरेंस में विकलांगता को 3 भागों में बांटा जाता है. पहला स्थायी पूर्ण  विकलांगता, दूसरा स्थायी आंशिक विकलांगता और तीसरा अस्थायी पूर्ण विकलांगता. स्थायी कुल विकलांगता के तहत वे लोग आते हैं, जो अपने शरीर के किसी हिस्से को लंबे समय तक के लिए गंवा बैठे हों. इनमें अंधापन, हाथ या पैरों को खोना, आवाज चली जाना, मानसिक स्थिति बिगड़ने जैसी परिस्थितयां शामिल होती हैं. यह बीमा स्थायी पूर्ण विकलांगता की स्थिति में बीमा राशि का 100% भुगतान करती है.


स्थायी आंशिक विकलांगता में एक हाथ या एक टांग खोना, बहरा होना, एक आंख की रोशनी जाना और हाथ की या पैर की उंगली का नुकसान शामिल होता है. ऐसी स्थिति में कंपन बीमा राशि के कुछ फीसदी का भुगतान किया जाता है. अस्थायी पूर्ण विकलांगता में व्यक्ति हादसे के बाद अस्थायी रूप से बिस्तर पर आ जाता है या कुछ समय के लिए काम करने लायक नहीं रहता. इन मामलों में, विकलांगता की अवधि के दौरान एक साप्ताहिक भुगतान किया जाता है. इनके अलावा इस बीमा में हादसे में मौत होने पर भी बीमा का पूरा पैसा दिया जाता है.


कितना होना चाहिए प्रीमियम 


इसका प्रीमियम कवर, राशि और व्यक्ति की नौकरी श्रेणी पर निर्भर करता है. हाई रिस्क श्रेणी की नौकरी में प्रीमियम राशि सुरक्षित समझी जानी वाली नौकरियों वाले लोगों की तुलना में अधिक होगी. यह आप पर निर्भर है कि आप कितना कवर लेना चाहते हैं. सामन्यतया आपको वार्षिक वेतन का 15-20 गुना कवर लेना चाहिए.