आप जब भी लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते हैं तो कर्जदाता है आपकी सिबिल रिपोर्ट और आपका सिबिल/क्रेडिट स्कोर जरूर देखता है. हालांकि ज्यादातर लोग इनका ठीक से अर्थ नहीं जानते और न हीं उन्हें यह पता होता है कि इन दोनों में अंतर क्या है.
भारत में चार क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनियां- क्रेडिट ब्यूरो ट्रांसयूनियन सिबिल, इक्विफैक्स, एक्सपेरियन और CRIF हाईमार्क काम करती हैं.
ये कंपनियों लोगों के वित्तीय रिकॉर्ड को इक्ट्ठा करती हैं और इस डेटा के आधार पर क्रेडिट रिपोर्ट/क्रेडिट स्कोर जेनरेट करती हैं. इन चारों कंपनियों को इस काम लाइसेंस हासिल होता है.
केडिट या सिबिल स्कोर
- लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन की प्रक्रिया में क्रेडिट या सिबिल स्कोर की भूमिका बहुत अहम है.
- सिबिल स्कोर किसी शख्स की कर्ज अदा करने की साख को आंकने का पैमाना है. यह तीन अंकों का होता है.
कितना CIBIL स्कोर माना जाता है अच्छा
- CIBIL स्कोर 300 से 900 के बीच होता है.
- 300-579 तक का सिबिल स्कोर खराब माना जाता है.
- 580-669 तक का संतोषजनक होता है.
- 670-739 तक का अच्छा माना जाता है.
- 740-799 तक का बहुत अच्छा होता है.
- 800-850 तक का स्कोर सर्वोत्तम होता है.
सिबिल स्कोर का महत्व
- सिबिल स्कोर कम होने पर लोन मिलने की संभावना बहुत कम होती है. कर्जदाता आवेदन रिजेक्ट भी कर सकता है.
- सिबिल स्कोर ज्यादा होने पर कर्जदाता आवेदन और उसकी डिटेल देखने के बाद तय करेगा कि आवेदक को लोन दिया जाए या नहीं
- सिबिल किसी अपने आप में यह तय नहीं करता है कि ऋण/क्रेडिट कार्ड की स्वीकृति दी जानी चाहिए या नहीं.
सिबिल रिपोर्ट
- किसी व्यक्ति के क्रेडिट पेमेंट की हिस्ट्री ही सिबिल रिपोर्ट होती है.
- सिबिल रिपोर्ट में इस बात की डिटेल होती है कि एक व्यक्ति एक निश्चित अवधि में अपने कर्जों को कैसे चुकाता है.
- व्यक्ति के दिवालिया होने या देर से कर्ज चुकाने की डिटेल भी रिपोर्ट में रहती है.
और क्या बताती है सिबिल रिपोर्ट
- व्यक्ति ने कब-कब लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन किया.
- व्यक्ति को किस-किस बैंक/वित्तीय संस्थान से लोन या क्रेडिट कार्ड मिला.
- लोन या क्रेडिट कार्ड EMI और बिल का भुगतान समय पर किया या नहीं.
- किन बैंकों/NBFC ने व्यक्ति क्रेडिट रिपोर्ट की जांच की.
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