वित्त वर्ष 2022-23 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख आने में अब बस दो सप्ताह का समय बचा है. पिछले साल की तरह इस बार भी इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है. अभी भी करोड़ों टैक्सपेयर्स ने अपना आईटीआर फाइल नहीं किया है. अगर आप भी इन करोड़ों में लोगों में शामिल हैं, तो आपको बता दें कि डेडलाइन तक आईटीआर नहीं भरने का खामियाजा काफी भारी हो सकता है. ऐसे मामलों में आपको जेल भी जाना पड़ सकता है.
इनकम टैक्स के कायदे-कानून
इनकम टैक्स रिटर्न समय पर नहीं भरने के कई नुकसान हैं. एक तरफ आप कई प्रकार के फायदों से वंचित हो जाते हैं. दूसरी ओर सीधे-सीधे नुकसान भी बहुत हैं. सबसे पहले तो आपको डेडलाइन के बाद आईटीआर भरने के लिए पेनल्टी देनी होगी, जो कुछ मामलों में काफी ज्यादा हो सकती है. वहीं कुछ परिस्थितियों में आपको कई सालों के लिए जेल भी भेजा जा सकता है. आज हम आपको यही बताने वाले हैं कि देर से आईटीआर फाइल करने के बारे में इनकम टैक्स के नियम-कानून क्या कहते हैं...
अब तक भरे गए इतने रिटर्न
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पोर्टल के अनुसार, इस सीजन में अब तक करीब 3 करोड़ ITR फाइल किए गए है. पिछली बार यह आंकड़ा 5.50 करोड़ से ज्यादा रहा था. इसका मतलब हुआ कि अभी भी करीब 2.50 करोड़ से ज्यादा ऐसे लोग हैं, जो किसी वजह से ITR नहीं भर पाए हैं. ऐसे लोग 31 जुलाई की डेडलाइन बीतने के बाद भी रिटर्न फाइल कर सकते हैं, लेकिन कुछ नुकसान उठाने के बाद.
दिसंबर तक भी भर सकते हैं रिटर्न
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्सपेयर्स को बिलेटेड रिटर्न यानी विलंबित रिटर्न की सुविधा देता है. बिलेटेड ITR फाइल करने के लिए आपको कीमत चुकानी होती है. आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139 (4) के तहत देय तिथि (Due Date) के बाद इनकम टैक्स रिटर्न भरना बिलेटेड रिटर्न कहलाता है. मौजूदा असेसमेंट ईयर खत्म होने या असेसमेंट ईयर पूरा होने से 3 महीने पहले तक बिलेटेड रिटर्न भरा जा सकता है. वित्त वर्ष 2022-23 यानी असेसमेंट ईयर 2023-243 के लिए 31 दिसंबर 2023 तक बिलेटेड रिटर्न दाखिल किया जा सकता है. यानी बिलेटेड ITR फाइल करने के लिए टैक्सपेयर के पास डेडलाइन के बाद भी 5 महीने हैं.
बिलेटेड ITR फाइल करने पर कितनी पेनाल्टी?
आयकर नियमों के मुताबिक, कोई भी टैक्सपेयर, जिसने 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल नहीं किया है, लेट फीस चुका कर बिलेटेड रिटर्न फाइल कर सकता है. 5 लाख रुपये से ज्यादा की आय पर लेट फीस 5,000 रुपये लगेगी. छोटे टैक्सपेयर, जिनकी आय 5 लाख रुपये से कम है, उनके लिए जुर्माना 1,000 रुपये से ज्यादा नहीं होगा.
डेडलाइन के बाद ITR फाइलिंग के नुकसान
अगर कोई टैक्सपेयर डेडलाइन तक इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं कर पाता है और बिलेटेड रिटर्न भरता है तो लॉस (हाउस प्रॉपर्टी Loss को छोड़कर) को अगले सालों के लिए कैरी फॉरवर्ड करने की अनुमति नहीं होगी. इन लॉस को 8 साल तक कैरी फॉरवर्ड किया जा सकता है.
समय से ITR फाइल करने पर टैक्सपेयर को रिफंड राशि पर 0.5 फीसदी प्रति माह की दर से ब्याज मिलता है. मान लीजिए किसी ने 31 जुलाई से पहले रिटर्न फाइल किया तो अप्रैल से ब्याज मिलेगा, जब तक रिफंड नहीं आ जाता. अगर किसी ने सितंबर में रिटर्न फाइल किया तो उसे 2 महीने (अगस्त और सितंबर) का ब्याज नहीं मिलेगा.
बिलेटेड ITR फाइल करते समय अगर किसी तरह की टैक्स देनदारी बनती है तो पेनाल्टी के रूप में ब्याज (Penal Interest) लगेगा. किस तरह का टैक्स बकाया है उसके आधार पर सेक्शन 234A, 234B और 234C के तहत दंड ब्याज लगेगा. 31 जुलाई के पहले सेल्फ-असेसमेंट टैक्स नहीं जमा करने पर धारा 234A के तहत पेनाल्टी लगती है. इसी प्रकार, 31 मार्च से पहले एडवांस टैक्स का 90 फीसदी भरने में नाकाम रहने पर धारा 234B के तहत जुर्माना लगेगा. हर महीने 1 फीसदी की दर से दंडात्मक ब्याज लगता है.
बिलेटेड रिटर्न भरने पर रिफंड देर से आता है. अगर आपका टैक्स रिफंड बनता है तो यह तभी मिलेगा जब रिटर्न भरने के बाद उसे वैरिफाई किया गया हो. ITR फाइलिंग में देरी होने से प्रोसेसिंग देरी से होगी और रिफंड देर से आएगा.
बिलेटेड रिटर्न भरने के बाद अगर किसी गड़बड़ी का पता चलता है तो टैक्सपेयर बिलेटेड ITR को रिवाइज कर सकता है. अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को उसके बाद भी संदेह होता है तो वह मामले की तफ्तीश कर सकता है और ऐसे में टैक्सपेयर को 7 साल तक की जेल भी हो सकती है.
ये भी पढ़ें: सहारा के इन्वेस्टर्स को अमित शाह का सहारा, वापस होंगे पूरे पैसे, इस दिन से शुरुआत!