इनकम टैक्स रिटर्न भरने की डेडलाइन बस दो सप्ताह दूर है. उसके बाद इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए आपको जुर्माना देना पड़ जाएगा. यही कारण है कि जैसे-जैसे डेडलाइन करीब आ रही है, रिटर्न भरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. बहुत सारे लोग इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए सीए के सहारे रहते हैं, क्योंकि वे खुद से रिटर्न भर नहीं पाते हैं. हालांकि इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना सभी टैक्सपेयर के लिए बेहद आसान है.
सैलरीड से अलग है प्रोसेस
आईटीआर भरने की प्रक्रिया सैलरीड लोगों के लिए सबसे आसान होती है. उन्हें रिटर्न भरने में ज्यादा माथापच्ची करने की जरूरत नहीं पड़ती है. हालांकि अभी के समय में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है, जो रेगुलर जॉब के बजाय फ्रीलांसर या कंसल्टेंट के तौर पर काम करना पसंद करते हैं. कोविड के बाद इस तरह का वर्क कल्चर भारत में तेजी से फैला है. ऐसे लोगों के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने की प्रक्रिया अलग होती है. अगर आपने भी फ्रीलांसर या कंसल्टेंट के तौर पर काम किया है तो आईटीआर भरने में हम आपकी मदद करने वाले हैं.
नहीं मिलेगा स्टैंडर्ड डिडक्शन
कुछ बुनियादी बातों के साथ आगे बढ़ते हैं. अगर आप फ्रीलांसर या कंसल्टेंट हैं तो आप सैलरीड टैक्सपेयर की तरह आईटीआर-1 या आईटीआर-2 फॉर्म नहीं भर सकते हैं. आपको 50 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का भी लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि आपकी इनकम सैलरी से नहीं है. आप अपने खर्च के हिसाब से कुछ अन्य डिडक्शन जरूर क्लेम कर सकते हैं.
किस टैक्स रिजीम को चुनना होगा
सबसे पहले बात इनकम टैक्स स्लैब व रेट की. आपको फ्रीलांस या कंसल्टेंट के तौर पर पूरे साल के दौरान जितनी कमाई हुई, उसके हिसाब से आपका स्लैब तय होगा और उसी हिसाब से टैक्स रेट लागू होगा. आपको सैलरीड लोगों की तरह हर साल टैक्स रिजीम नहीं चुन सकते हैं. इसे ऐसे समझिए. वित्त वर्ष 2022-23 यानी मौजूदा आकलन वर्ष के लिए ओल्ड टैक्स रिजीम डिफॉल्ट ऑप्शन है, लेकिन आप न्यू टैक्स रिजीम को भी चुन सकते हैं. हालांकि अगर आपने न्यू टैक्स रिजीम को चुन लिया तो फिर आपको इसे बदलने का विकल्प नहीं मिलेगा, जैसा सैलरीड लोगों को मिल जाता है. इस वित्त वर्ष से न्यू टैक्स रिजीम ही डिफॉल्ट होने वाला है.
क्या है प्रीजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम?
फ्रीलांसर व कंसल्टेंट को इनकम टैक्स एक्ट के तहत प्रीजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम चुनने की सुविधा मिलती है. बिजनेस या प्रोफेशन से पैसे कमा रहे कंसल्टेंट इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 44एडीए के तहत प्रीजम्पटिव स्कीम को चुन सकते हैं. यह स्कीम सिर्फ वैसे प्रोफेशनल के लिए है, जिन्हें 2022-23 के दौरान 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं मिले हैं. अगले साल से यह मिलिट बढ़कर 75 लाख रुपये हो जाएगी. ऐसे प्रोफेशनल कुल प्राप्तियों के 50 फीसदी को बिजनेस इनकम की तरह दिखा सकते हैं और उसी हिसाब से टैक्स का कैलकुलेशन होगा.
कब नहीं मिलेगा प्रीजम्पटिव स्कीम का लाभ?
अगर कंसल्टेंट की इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है तो वे 44एडी के तहत प्रीजम्पटिव स्कीम का लाभ उठा सकते हैं. इसमें कुल प्राप्तियों की लिमिट अभी 2 करोड़ रुपये है, जो अगली बार से 3 करोड़ हो जाएगी. हालांकि अगर इनकम कमीशन, ब्रोकरेज या एजेंसी बिजनेस से हुई हो तो इसका लाभ नहीं उठाया जा सकता है.
कब है फ्रीलांसर की डेडलाइन?
आम टैक्सपेयर की तरह कंसल्टेंट व फ्रीलांसर के लिए भी इनकम टैक्स रिटर्न भरने की डेडलाइन 31 जुलाई 2023 है. हालांकि अगर कंसल्टेंट सेक्शन 44एबी के तहत ऑडिट के दायरे में आता हो तो उसके लिए डेडलाइन 31 अक्टूबर 2023 तक है. इन मामलों में कंसल्टेंट को 30 सितंबर 2023 तक टैकस ऑडिट रिपोर्ट जमा कराने की जरूरत पड़ेगी.
किस फॉर्म से भरा जाएगा आईटीआर?
प्रोफेशनल इनकम वाले कंसल्टेंट को आईटीआर-3 फॉर्म भरना होगा. हालांकि अगर प्रीजम्पटिव स्कीम को चुन रहे हैं, तो ऐसे में आईटीआर-4 यानी सुगम फॉर्म भरना होगा. अगर इनकम 50 लाख रुपये से ज्यादा है या लॉस को कैरी फॉरवर्ड करना है तो ऐसे में आईटीआर-3 फॉर्म ही भरना होगा. इस फॉर्म में प्रॉफिट, लॉस और बैलेंस शीट दिखाने का ऑप्शन दिया गया है.
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