जनवरी में निर्यात में 6.2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. पिछले साल की तुलना में इस साल जनवरी में निर्यात का बढ़ना काफी अहम है. मार्च 2019 के बाद निर्यात का यह सर्वोच्च स्तर है. वाणिज्य मंत्रालय ने शुरुआती आकलन में 5.4 फीसदी निर्यात का अनुमान लगाया था लेकिन जनवरी में इससे ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई.


आयात में भी लगातार दूसरे महीने बढ़ोतरी 


इस बीच, आयात में भी लगातार दूसरे महीने ग्रोथ दर्ज की गई. हालांकि जनवरी में इसमें 2 फीसदी की ही बढ़ोतरी दर्ज की गई. आयात में जरूर वृद्धि दर्ज की गई है लेकिन यह दिसंबर में 7.6 की वृद्दि दर से कमजोर है. निर्यात में बढ़ोतरी की वजह से व्यापार घाटा जनवरी में घट कर 14.54 अरब डॉलर रह गया. दिसंबर 2020 में यह घाटा 15.44 अरब डॉलर का था. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में निर्यात बढ़ कर 27.45 अरब डॉलर तक पहुंच गया. एक साल पहले यह 25.85 अरब डॉलर का था. वहीं आयात बढ़ कर 41.99 अरब डॉलर का हो गया. एक साल पहले यह 41.15 अरब डॉलर का था.


कमोडिटी के निर्यात में तेज बढ़ोतरी 


अहम बात यह है कि कोर एक्सपोर्ट (पेट्रोल और जेम्स-ज्वैलरी को छोड़ कर) जनवरी में 13.4 फीसदी की दर से बढ़ा. इसी तरह नॉन ऑयल और नॉन-गोल्ड आयात पिछले महीने 7.5 फीसदी बढ़ा. कमोडिटी के निर्यात में तेज बढ़ोतरी देखने को मिली. चावल, गेहूं, ऑयल मिल, लौह अयस्क, इंजीनियरिंग गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाओं के निर्यात में काफी अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की गई. हालांकि पेट्रोलियम प्रोडक्ट के निर्यात में 32 फीसदी की गिरावट आई और गारमेंट के निर्यात में 11 फीसदी की कमी दर्ज की गई.


निर्यात के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फियो के प्रेसिडेंट शरद सर्राफ ने कहा कि इन आंकड़ों से पता चलता है कि हमारा परंपरागत और श्रम आधारित निर्यात (अपैरल, लेदर, मरीन प्रोडक्ट, जेम्स-एंड ज्वैलरी को छोड़ कर) चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है.


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