नई दिल्लीः आर्थिक मोर्चे पर अच्छी खबरों की झड़ी लगी है. औद्योगिक उत्पादन की विकास दर जहां जनवरी में पौने दो फीसदी के करीब पहुंच गयी, वहीं चालू कारोबारी साल के पहले ग्यारह महीनों में कर से सरकार की झोली खूब भरी.
ये तमाम आर्थिक आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब नोटबंदी के असर को लेकर चर्चा गरमाया हुआ है. कुछ जानकारों को अभी भी लगता है कि चालू कारोबारी साल की आखिरी तिमाही यानी जनवरी से मार्च के दौरान नोटबंदी का असर देखने को मिलेगा. लेकिन ताजा सरकारी आंकड़े इस बात की गवाही नहीं देते.
औद्योगिक विकास दर
कार और मोबाइल हैंडसेट के उत्पादन में जनवरी के दौरान तेजी देखने को मिली, वहीं केबल,हॉट रोल्ड कॉयल और खनिज के उत्पादन में बढ़त हुई. ध्यान रहे कि दिसम्बर के महीने में कार और मोबाइल हैंडेसट की बिक्री में काफी कमी आयी थी और इसकी वजह नोटबंदी बतायी गयी थी. लेकिन अब लगता है कि नोटबंदी का असर कम हो रहा है जिससे मांग बढ़ी और उसीके मद्देनजर उत्पादन भी बढ़ाया गया. इन सब कारणों से जनवरी के महीने में औद्योगिक उत्पादन के बढ़ने की दर 2.7 फीसदी रही. दिसम्बर के आंकड़ों में फेरबदल किया गया है और अब ये (-)0.4 फीसदी के बजाए (-)0.1 फीसदी रह गयी है. वहीं बीते साल के जनवरी की बात करें तो औद्योगिक विकास दर (-) 1.6 फीसदी दर्ज की गयी थी.
खास बात ये है कि मैन्युफैक्चरिंग यानी विनिर्माण के मामले में विकास दर 2 फीसदी से ज्यादा है. बीते साल जनवरी में और ठीक महीने भर पहले यानी दिसम्बर में भी नकारात्मक रही थी. मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार पर असर पड़ने का मतलब रोजगार के नए मौकों में कमी आना है. ये नहीं भूलना चाहिए कि यदि मैन्युफैक्चरिंग में प्रत्यक्ष रोजगार के एक मौके बनते हैं तो अप्रत्यक्ष तौर पर चार और लोगों को नौकरी मिलती है.
सरकार की झोली भरी
अच्छी खबर सरकारी खजाने को लेकर भी आयी है. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर दोनो ही से कमाई बढ़ी है. प्रत्यक्ष कर में जहां मुख्य रुप से व्यक्तिगत आयकर औऱ निगम कर यानी कॉरपोरेट टैक्स शामिल हैं, वहीं अप्रत्यक्ष कर में सीमा शुल्क यानी कस्टम ड्यूटी, केंद्रीय उत्पाद शुल्क यानी सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी और सेवा कर यानी सर्विस टैक्स शामिल है. सरकार कह रही है कि इन आंकड़ों में बढ़ोतरी नोटबंदी से औद्योगिक काम काज ठप होने की आशंका को नकार रही है.
प्रत्यक्ष कर की बात करे तो चालू कारोबारी साल के पहले ग्यारह महीने यानी अप्रैल से फरवरी के दौरान कुल मिलाकर 6.17 लाख करोड़ रुपये (रिफंड देने के बाद) के बाद कमाई हुई. ये 2015-16 की समान अवधि के मुकाबले 10.7 फीसदी ज्यादा है. इस तरह सरकार बजटीय अनुमान का करीब 73 फीसदी जुटा चुकी है. मार्च के महीने में एडवांस टैक्स जमा कराया जाता है. लिहाजा सरकार को उम्मीद है कि वो लक्ष्य को हासिल कर लेगी.
दूसरी ओर अप्रत्यक्ष कर की बात करें तो कुल 7.72 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए और वो भी तमाम तरह के रिफंड देने के बाद. ये रकम बीते साल की समान अवधि के मुकाबले 22 फीसदी ज्यादा है. अप्रत्यक्ष कर के संसोधित अनुमान का करीब 91 फीसदी जुटाया जा चुका है.