इकनॉमी की रफ्तार बढ़ाने की सरकार की कोशिश के बावजूद रोजगार में इजाफा नहीं हो रहा. सरकार ने कोरोनावायरस संक्रमण से आर्थिक गतिविधियों को उबारने के लिए  20 लाख करोड़ का बड़ा पैकेज जारी किया. इसमें से तीन लाख करोड़ रुपये एमएसएमई के लिए थे ताकि रोजगार में इजाफा हो सके. एमएसएमई सेक्टर रोजगार देने वाले प्रमुख सेक्टर में शामिल है. इसके बावजूद बेरोजगारी दर घट नहीं रही है.


सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी यानी CMIE के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 28 जून को खत्म हुए सप्ताह में बेरोजगारी दर बढ़ कर 8.59 फीसदी पर पहुंच गई. इसके एक सप्ताह पहले तक यह दर 8.48 फीसदी थी.


शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी ने दहाई अंक पार किया


सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर ज्यादा है. यहां बेरोजगारी दर 10.69 फीसदी पर बनी हुई है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों  में बेरोजगारी दर 7.62 फीसदी पर बनी हुई है.आंकड़ों के मुताबिक जून के पहले सप्ताह के दौरान देश में बेरोजगारी दर 17.51 फीसदी थी. ग्रामीण बेरोजगारी दर 17.71 और शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर 17.08 फीसदी पर पहुंच गई थी.


हाल में ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी दर कम हुई है. खरीफ फसलों की बुआई, मनरेगा के तहत रोजगार और इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं का काम बढ़ने से लोगों को ज्यादा काम मिल रहा है. हालांकि शहरी इलाकों रोजगार बढ़ने की रफ्तार कम रही है. लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियों को भारी झटका लगा है. इससे बेरोजगारी दर बढ़ी है. लॉकडाउन के दौरान बड़ी तादाद में लोगों के वेतन में कटौती की गई. उन्हें बिना वेतन के छुट्टी पर भेजा गया है या फिर छंटनी कर दी गई है. दूसरी ओर, लॉकडाउन के बाद भी कंपनियों में बहाली रफ्तार नहीं पकड़ पाई है. कई सर्वे में कहा गया है कि भारतीय कंपनियों की ओर से बहाली में तेजी आई है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.