Jobs for Women: भारत को यदि विकसित होना है तो उसकी आधी आबादी के हाथ आर्थिक रूप से मजबूत होने चाहिए. वर्ल्ड बैंक ने भी हाल ही में कहा था कि यदि भारत को तरक्की की सीढ़ियां चढ़नी हैं तो उसे महिलाओं के लिए बेहतर रोजगार की व्यवस्था करनी होगी. यदि महिलाओं के हाथ मजबूत हुए तो भारत को विकसित होने से कोई नहीं रोक सकता. भारत के शहरी इलाकों में महिलाओं के बीच रोजगार बढ़ा है. महिलाओं की बेरोजगारी दर घटकर 8.6 फीसदी रह गई है. हालांकि, अभी भी अच्छी नौकरियां महिलाओं को नहीं मिल पा रही हैं, जो कि चिंता का विषय है.
सैलरीड महिलाओं की संख्या घटी
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई-सितंबर तिमाही में महिलाओं की बेरोजगारी दर कम हुई है. हालांकि, उन्हें नियमित रोजगार नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से सैलरीड महिलाओं की संख्या इस तिमाही में घटकर 55 फीसदी रह गई है. साथ ही सैलरीड नौकरियां कर रहे पुरुषों की संख्या भी कम हो गई है, यह अब 47 फीसदी ही बची है. हालांकि, अनियमित नौकरियां कर रहे पुरुषों की संख्या इस तिमाही में भी बराबर ही रही है. शहरों के रोजगार के आंकड़े चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में बराबर ही रहे हैं.
सारी नई नौकरियां कृषि क्षेत्र ने दी
सर्वे में सामने आया कि लगभग सारी नई नौकरियां कृषि क्षेत्र में पैदा हुईं, जबकि दूसरे सेक्टरों में नौकरी की संख्या घटी है. खरीफ सीजन में बुवाई के चलते कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़े हैं. हालांकि, निराशा की बात है कि बुवाई का सीजन खत्म होने के साथ ही यह नौकरियां खत्म भी हो जाएंगी। इसलिए अगली तिमाही में आंकड़े निराश करने वाले आ सकते हैं.
हफ्ते में एक घंटा भी काम मिला हो तो माना जाता है रोजगार
शहरी इलाकों में नौकरी का आंकड़ा सरकार हर तिमाही में जारी करती है. इस सर्वे में हर उस शख्स को नौकरीपेशा माना जाता है, जिसे सर्वे के समय सात दिनों के अंदर एक घंटा भी काम मिला हो. बेरोजगारी दर में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्ति शामिल हैं.
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