Kesar Price: कश्मीरी केसर ने कीमत में चांदी को छोड़ा पीछे, दाम में हुआ है इतना इजाफा कि किसान हो रहे मालामाल
Kesar Price Up: दुनियाभर में मशहूर कश्मीर का केसर अब अपनी एक खास पहचान के चलते लाखों की कीमत में बिक रहा है और इसके किसानों को जमकर मुनाफा हो रहा है. कश्मीरी केसर के मौजूदा रेट्स जानकर आप चौंक जाएंगे.
Kesar Price Up: देश में कश्मीरी केसर के दामों में आई जबरदस्त बढ़त से यहां के किसानों के चेहरे पर खुशी छाई है. दरअसल कश्मीरी केसर के दाम 1-2 लाख रुपये नहीं बल्कि इससे भी ऊपर जा चुके हैं. इसके दाम 3.25 लाख रुपये प्रति किलो तक जा चुके हैं. कश्मीरी केसर के किसानों के लिए ये दाम काफी उत्साहजनक हैं और उनके लिए ये फसल फायदे का सौदा बन गई है.
GI टैग मिलने के बाद हुआ केसर के दामों में जबरदस्त इजाफा
कश्मीरी केसर के दाम में जो तेजी देखने को मिल रही है वो इसलिए हैं क्योंकि इसे जीआई (ज्योग्राफिकल इंडीकेशन) टैग मिला है जिसके बाद इसके दाम ग्लोबल स्तर पर बढ़े हैं. ईरानी केसर जो पहले कश्मीरी केसर को दाम के मामले में पीछे रखे हुए था, अब वो कश्मीरी केसर से पिछड़ चुका है. दरअसल ईरान के केसर को ग्लोबल बाजारों में कश्मीर का केसर बताकर बेचा जा रहा था जिसके चलते देश के केसर को उचित दाम नहीं मिल पा रहे थे. हालांकि जीआई टैग मिलने के बाद इस स्थिति में बदलाव आ चुका है और कश्मीरी केसर को वैश्निक बाजारों में उचित कीमत मिल पा रही है.
चांदी से भी महंगी हुई केसर
अब कश्मीरी केसर के आगे चमकीली मेटल चांदी के दाम भी कम हैं क्योंकि 10 ग्राम केसर के पैकेट के दाम 3250 रुपये पर आ चुके हैं जो कि 47 ग्राम चांदी के दाम के बराबर हैं. किसानों को इस फसल के उत्पादन में तेजी का फायदा मिल रहा है और इसकी खेती के लिए पहले से ज्यादा प्रयास किए जा रहे हैं. घाटी में इसका सालाना 18 लाख टन का उत्पादन रिकॉर्ड किया जा रहा है जिसके और बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही है.
जीआई टैग से कैसे मिला भारत के केसर को दावा
जीआई टैग से किसी प्रोडक्ट की खास भौगौलिक स्थिति के बारे में पता चलता है और किसी प्रोडक्ट की खासियत को भी सामने देखा जाता है. इससे खास तौर पर ग्लोबल बाजारों में किसी उत्पाद को खास महत्व मिलता है जो कि अब कश्मीरी केसर को मिल रहा है. अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय देशों से कश्मीरी केसर की भारी मांग आ रही है. कश्मीरी केसर दुनिया का इकलौता जीआई टैग वाला केसर है जिसके दम पर इसके ऑथेंटिक होने का भरोसा वैश्विक खरीदारों को मिल रहा है और अब वो इसकी खरीदारी बढ़ाने पर तरजीह दे रहे हैं.
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