Gas Prices: महंगे PNG-CNG से मिलेगी राहत, किरिट पारिख समिति ने 4 से 6.5 डॉलर/यूनिट गैस के दाम तय करने की सिफारिश की
Gas Prices Update: किरिट पारिख पैनल ने अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी है. अब उसे अमल में लाने के लिए कैबिनेट से मंजूरी की दरकार होगी. सरकार सुझाव भी लेती है तो एक अप्रैल 2023 से ही ये अमल में आएगा.
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Relief From Costly Gas Prices: आने वाले दिनों में महंगे सीएनजी और पीएनजी के दामों (CNG-PNG Prices) से आम लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है. किरिट पारिख ( Kirit Parekh) की अध्यक्षता वाली कमिटी ने गैस के दाम तय करने को लेकर अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी है. इस पैनल ने गैस प्राइस पर लगाये जाने वाली सीमा को अगले 3 साल के लिए खत्म किए जाने का भी सुझाव दिया है. साथ ही कमिटी ने देश में पुराने गैस फील्ड से उत्पादन होने वाले प्राकृतिक गैस के प्राइस बैंड को 4 से 6.5 डॉलर प्रति यूनिट (mmBtu) तय करने की सिफारिश की है. समिति ने सरकार से गैस प्राइस के दामों को कच्चे तेल के दामों के साथ जोड़ने का भी सुझाव दिया है.
किरिट पारिख समिति ने पुराने गैस फील्ड से उत्पादन होने वाले प्राकृतिक गैस के दामों में हर वर्ष बढ़ोतरी करने का सुझाव दिया है. साथ ही पैनल ने एक जनवरी 2027 से गैस के दाम बाजार की कीमतों के आधार पर तय करने की सिफारिश की है. फिलहाल सरकार साल में छह महीने के अंतराल पर गैस के दामों की समीक्षा करती है जो एक अप्रैल और एक अक्टूबर से लागू होता है. एक अप्रैल 2022 को प्राकृतिक गैस के दाम को 2.9 से बढ़ाकर 6.10 डॉलर, फिर एक अक्टूबर, 2022 को 8.57 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू कर दिया गया. यानि एक साल में करीब 200 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी गई. सरकार ने गहरे क्षेत्रों से निकाले जाने वाले प्राकृतिक गैस की कीमतों को 9.92 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से बढ़ाकर 12.6 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू कर दिया.
सरकार ने सितंबर 2022 में देश में उत्पादन होने वाले घरेलू गैस की कीमतों ( Domestic Gas Price) की समीक्षा करने के लिए योजना आयोग के पूर्व सदस्य और एनर्जी सेक्टर के जानकार किरिट पारिख की अध्यक्षता में पैनल का गठन किया था. इस कमिटी में फर्टिलाइजर मिनिस्ट्री से लेकर गैस उत्पादक और खरीदारों के प्रतिनिधि शामिल थे. आम लोगों को सस्ते गैस उपलब्ध कराने के साथ ही किरिट पारिख पैनल पर ये जिम्मेदारी थी कि वो ऐसी पॉलिसी तैयार कर सरकार को सुझाव दे जो पारदर्शी से लेकर भरोसेमंद प्राइसिंग रिजिम हो और लंबी अवधि में भारत को गैस बेस्ड इकॉनमी (Gas Based Economy) बनाने में मदद करे.
दरअसल देश में लगातार गैस के दाम बढ़ते जा रहे थे जिसका असर महंगाई में बढ़ोतरी के तौर पर देखा जा रहा था. तो दूसरा मकसद गैस के इस्तेमाल में बढ़ोतरी भी थी जिससे प्रदूषण को कम किया जा सके. मोदी सरकार देश में कुल एनर्जी में गैस की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 2030 तक 15 फीसदी करना चाहती है जो फिलहाल केवल 6.2 फीसदी है. वहीं 2070 तक जीरो-कार्बन एमीशन का लक्ष्य है. किरिट पारिख पैनल अपनी सिफारिशों को पेट्रोलियम मंत्रालय को सौंप दिया है. अब उसे अमल में लाने के लिए कैबिनेट से मंजूरी की दरकार होगी. हालांकि सरकार इन पैनल के सुझाव को मान लेती है एक अप्रैल 2023 से ही ये अमल में आएगा.
घरेलू गैस के उत्पादन को बढ़ाने के लिए 2014 में सरकार ने स्थानीय गैस की कीमतों को ग्लोबल बेंचमार्क के साथ लिंक कर दिया था. फरवरी 2022 में रूस यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद गैस के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में आसमान छूने लगे. जिसके चलते देश में प्राकृतिक गैस के दामों में जोरदार बढ़ोतरी देखने को मिली. इसके चलते सिटी गैस कंपनियों को सीएनजी-पीएनजी के दाम कई बार बढ़ाने पड़े. तो इसके चलते फर्टिलाइजर के दामों में भी जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है.
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