नई दिल्ली: नोटबंदी के साल पूरे होने के मौके पर एक सवाल अब भी बना हुआ है कि देश कितना कैशलेस हुआ. अगर सीधे-सीधे बीते साल अक्टूबर से लेकर अगस्त तक के आंकड़े देखे तो क्रेडिट वे डेबिट कार्ड से दुकानों पर खरीदारी 51 हजार करोड़ से 71 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गयी, वहीं मोबाइल वॉलेट से लेन-देन करीब-करीब दुगना हो गया. लेकिन एक मिनट. इन आंकड़ों को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित होने की जरुरत नहीं.


आज भी बाजार में 95 फीसदी के करीब लेन-देन नकद में होता है
नोटों का जलवा फिर से शवाब पर है. वो भी तब जब सरकार लगातार दावे करती रही है कि नोटबंदी के बाद देश कैशलेस की ओर से तेजी से कदम बढ़ा रहा है. लेकिन रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि चलन में नोट की तादाद बढ़ी ही है. मसलन बीते साल 14 अक्टूबर को बाजार में कुल 1,23,93,150 करोड़ रुपये चलन में थे जबकि इस साल 13 अक्टूबर को ये रकम 1,31,81,190 करोड़ रुपये रही. अनुमान है कि आज भी बाजार में 95 फीसदी के करीब लेन-देन नकद में होता है, जबकि बीते साल ये आंकड़ा 96-97 फीसदी के करीब था.


नोटों पर फिर लौटा लोगों का भरोसा 
ऐसा लगता है कि नोटों पर लोगों का भरोसा फिर से लौट आया है. हालांकि नोटबंदी के शुरुआती महीनों में मजबूरी में ही सही, लेकिन लोगों ने डिजिटल माध्यमों को अपनाया जिससे हर किस्म के डिजिटल माध्यमों के जरिए लेन-देन में खासी बढ़ोतरी देखने को मिली. वैसे बाद के महीनों में इसमें गिरावट आयी, फिर भी सरकार के लिए संतोष की बात ये है कि बीते साल के मुकाबले अभी भी ये थोड़ा ज्यादा है.


क्या कहते हैं आंकड़े
वैसे तो दर्जन भर से भी ज्यादा डिजिटल माध्यम बाजार में मौजूद है, लेकिन उनमे कार्ड, मोबाइल वॉलेट, भीम या यूपीआई जैसे माध्यम खासे इस्तेमाल में लाए जाते हैं. कार्ड को ही बात करें तो क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिए प्वाइंट ऑफ सेल्स यानी पीओएस मशीन के जरिए बीते साल नोटबंदी के ठीक पहले यानी अक्टूबर में करीब 51803 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ. ये रकम दिसंबर में 89180 करोड़ रुपये के स्तर तक पहुंची, लेकिन उसके बाद उसमें गिरावट हुई और अगस्त में ये रकम 71712 करोड़ रुपये पर आ गयी.


वहीं भीम, यूपीआई व यूएसएसडी जैसे माध्मयों को मिला दे तो यहां दिसबंर में कुल लेन-देन महज 101 करोड़ रुपये का था जो अगस्त में 4156 करोड़ रुपये पर पहुंचा. हालांकि मोबाइल वॉलेट के मामले में स्थिति कार्ड की ही तरह रही. यहां बीते साल अक्टूबर में करीब 3385 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ था जो जनवरी तक आते-आते 8385 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जबकि अगस्त में ये आंकड़ा 7762 करोड़ रुपये का रहा.


डिजिटल ट्रांजेक्शन में हैं ये दिक्कतें
बहरहाल, डिजिटल माध्यमो के लेन-देन में कई तरह की चुनौतियां है मसलन कार्ड के भुगतान पर 0.25 फीसदी से तीन फीसदी या उससे ज्यादा का ट्रांजैक्शन चार्ज, कार्ड के इस्तेमाल पर क्लोनिंग का खतरा, और देश के कई इलाकों में कमजोर इंटरनेट कनेक्टिविटी.


आगे क्या करने वाली है सरकार ?
वैसे बैंकों का कहना है कि वो डिजिटल माध्यमो से लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रहे हैं और आगे उसके अच्छे नतीजे देखने को मिलेंगे. उधर, सरकार की कोशिश है कि कार्ड पर ट्रांजैक्शन फीस कम हो, इस बाबत उसने रिजर्व बैंक को भेजी अपनी प्रतिक्रिया में इस बात की वकालत भी की है.


इसी के साथ भीम एप को बढ़ावा देने के लिए उसे ज्यादा यूजर फ्रेंडली बनाने की तैयारी है. यही नहीं क्विक रिस्पांस यानी क्यू आर कोड का एक नया स्वरूप भारत क्यू आर कोड आ रहा है. इससे किसी भी दुकान पर अलग-अलग पेमेंट व्यवस्था के लिए अलग-अलग कोड स्कैन कराने की जरुरत नही होगी. क्यू आर कोड डिजिटल लेन-देन का काफी सुरक्षित माध्यम माना जाता है जिसमें किसी भी तरह की जानकारी साझा नहीं करनी होती.