देश के सरकारी बैंकों के एनपीए का कितना बुरा है हाल? जानिए यहां
आरबीआई ने कुछ आंकड़े जारी किए हैं जिनके तहत बैंकों के नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी बिना चुकाए लोन की बड़ी चिंताजनक तस्वीर निकलकर सामने आती है.
नई दिल्लीः देश के बैंकिंग सेक्टर को लेकर जहां इस समय चिंता का माहौल है और पंजाब नेशनल बैंक के साथ बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स सभी लोन डिफॉल्टर्स के चलते परेशानी में पड़ सकते हैं. बैंकिंग सेक्टर में लोन न चुकाने वालों की संख्या इतनी बढ़ चुकी है कि बैंकों के एनपीए लाखों करोड़ रुपये की सीमा में आ चुके हैं.
आरबीआई ने कुछ आंकड़े जारी किए हैं जिनके तहत बैंकों के नॉन परफॉर्मिंग एसेट यानी बिना चुकाए लोन की बड़ी चिंताजनक तस्वीर निकलकर सामने आती है
पब्लिक सेक्टर बैंक के एनपीए
- सभी सरकारी बैंकों के ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट 7,90,649 करोड़ रुपये (30 सितंबर 2017 तक)
- पब्लिक सेक्टर बैंक (पीएसयू) के ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट 6,89,806 करोड़ रुपये (30 सितंबर 2017 तक)
- कुल एनपीए में से पीएसयू बैंकों का ग्रॉस एनपीए 87.25 फीसदी रहा है. (30 सितंबर 2017 तक)
- निजी बैंकों का ग्रॉस एनपीए 1,00,843 करोड़ रुपये है (30 सितंबर 2017 तक)
- पीएनबी का ग्रॉस एनपीए 57630 करोड़ रुपये (30 सितंबर 2017 तक)
देश के कुल 21 पब्लिक सेक्टर बैंकों में से 9 पब्लिक सेक्टर बैंक के ग्रॉस एनपीए 15 फीसदी से ज्यादा हैं और 14 पब्लिक सेक्टर बैंकों के ग्रॉस एनपीए 12 फीसदी से ज्यादा है.
स्त्रोतः ये आंकड़ें आरबीआई की तरफ से जारी किए गए हैं