FULL INFO: ये है GST के 17 सालों के लंबे सफर की साल दर साल जानकारी
नई दिल्ली: 30 जून की रात 12 बजे संसद भवन के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मोदी ने एक साथ बटन दबाकर स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार जीएसटी लॉन्च किया. हालांकि जीएसटी 2017 में लागू हुआ है लेकिन इसका सफर 1-2 साल नहीं बल्कि 17 सालों का है. जीएसटी आजादी के 70 सालों में भारत का सबसे बड़ा टैक्स सुधार है. यह केंद्र और राज्यों के एक दर्जन से ज्यादा उपकरों जैसे फैक्ट्री गेट, उत्पाद शुल्क, सेवा, स्थानीय बिक्री टैक्स या वैट को खत्म कर 'एक देश, एक टैक्स' को लागू कर चुका है.
'एक देश एक टैक्स' को आकार देने वाली जीएसटी यात्रा इस प्रकार हैः
1986: फरवरी 1986 में तत्कालीन वित्त मंत्री वीपी सिंह ने 1986-87 के बजट में उत्पाद टैक्सेशन सिस्टम में एक बड़ा बदलाव करने का प्रस्ताव रखा था.
2000: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने यह आइडिया पेश किया और जीएसटी मॉडल का डिजाइन तय करने के लिए पश्चिम बंगाल के तत्कालीन वित्तमंत्री असीम दासगुप्ता की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई.
2003: वाजपेयी सरकार ने टैक्स सुधारों की सिफारिश करने के लिए विजय केलकर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया.
2004: वित्त मंत्रालय में तत्कालीन सलाहकार विजय केलकर ने वर्तमान कर व्यवस्था के स्थान पर जीएसटी की सिफारिश की.
28 फरवरी, 2006: पहली बार बजट भाषण में जीएसटी का उल्लेख हुआ. वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने जीएसटी लागू करने की समय सीमा एक अप्रैल 2010 तय की. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रियों की उच्चाधिकार समिति जीएसटी के लिए रोडमैप तैयार करेगी.
2008: राज्यों के वित्तमंत्रियों की उच्चाधिकार समिति का गठन.
30 अप्रैल 2008: उच्चाधिकार समिति ने सरकार को भारत में माल और सेवा कर का मॉडल और रोडमैप Þ नामक रिपोर्ट सौंपी.
10 नवंबर, 2009: उच्चाधिकार समिति ने जीएसटी पर परिचर्चा पत्र जारी किया.
2009: वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने दासगुप्ता समिति द्वारा डिजायन किये गये जीएसटी के मूल ढांचे की घोषणा की और 2010 की समय सीमा बनाए रखी.
भाजपा ने जीएसटी मूल ढांचे का विरोध किया.
फरवरी, 2010: वित्त मंत्रालय ने जीएसटी लागू करने के वास्ते बुनियाद डालने के लिए राज्यों में कमर्शियल टैक्सेज का मिशन मोड कंप्यूटरीकरण शुरू किया.
प्रणब मुखर्जी ने 1 अप्रैल 2011 तक के लिए जीएसटी टाला.
22 मार्च, 2011: यूपीए 2 ने जीएसटी लाने के लिए लोकसभा में 115 वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया.
29 मार्च, 2011: जीएसटी विधेयक यशवंत सिन्हा की अगुवाई वाली वित्त पर संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया.
असीम दासगुप्ता ने इस्तीफा दिया, तब केरल के वित्त मंत्री के एम मणि ने उनका स्थान लिया.
नवंबर, 2012: वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक की और जीएसटी को लागू करने के लिए 31 दिसंबर, 2012 तक सभी मुद्दों को सुलझाने का फैसला किया.
फरवरी, 2013: जीएसटी लागू करने के संप्रग सरकार के फैसले का ऐलान करते हुए चिदम्बरम ने अपने बजट ने जीएसटी की वजह से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए 9000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया.
अगस्त, 2013: संसदीय समिति ने जीएसटी में सुधारों का सुझाव देते हुए संसद को रिपोर्ट सौंपी. जीएसटी विधयेक संसद में पेश किये जाने के लिए तैयार.
अक्तूबर, 2013: गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहते हुए जीएसटी का विरोध किया कि राज्य को जीएसटी की वजह से हर साल 14,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.
2014: स्थायी समिति द्वारा मंजूर जीएसटी विधेयक की समय सीमा समाप्त क्योंकि लोकसभा भंग हो गयी. भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार सत्ता में आयी.
18 दिसंबर, 2014: मंत्रिमंडल ने जीएसटी के लिए 122 वां संविधान मंजूर किया.
19 दिसंबर 2014: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में जीएसटी से संबंधित संशोधन: 122 वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया जिसका कांग्रेस ने विरोध किया.
फरवरी, 2015: जेटली ने जीएसटी लागू करने के लिए एक अप्रैल, 2016 की समय सीमा तय की.
6 मई 2016: लोकसभा ने जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया.
12 मई, 2105: राज्यसभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया.
कांग्रेस ने इस विधेयक को राज्यससभा की प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की. उसने 18 फीसदी की जीएसटी सीमा की मांग की.
14 मई, 2015: जीएसटी विधेयक राज्यसभा और लोकसभा की संयुक्त समिति के पास भेजा गया.
अगस्त, 2015: सरकार को राज्यसभा में इस विधेयक को पारित कराने के लिए विपक्ष का समर्थन हासिल नहीं हुआ जहां उसके पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है.
जुलाई, 2016: सरकार ने 18 फीसदी की जीएसटी संवैधानिक सीमा को मंजूरी नहीं दी. इस विषय पर उसे राज्यों का समर्थन मिला.
अगस्त, 2016: कांग्रेस और भाजपा संविधान संशोधन विधेयक पारित कराने पर राजी हुईं.
3 अगस्त, 2016: राज्यसभा ने दो तिहाई बहुमत से संविधान संशोधन विधेयक पारित किया.
2 सितंबर 2016: 16 राज्यों ने जीएसटी विधयेक को अनुमोदित किया. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विधेयक को अपनी मंजूरी दी.
12 सितंबर 2016: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जीएसटी काउंसिल के गठन को मंजूरी दी.
22-23 सितंबर 2016: जीएसटी काउंसिल की पहली बैठक हुई.
3 नवंबर 2016: जीएसटी काउंसिल 5,12,18 और 28 फीसदी की चार स्तरीय कर ढांचे पर सहमत हुई. काउंसिल विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर अतिरिक्त उपकर लगाने पर भी राजी हुई.
16 जनवरी, 2017: जेटली ने जीएसटी लागू करने की समयसीमा एक जुलाई तय की. केंद्र और राज्यों के बीच दोहरा नियंत्रण और समुद्र में वस्तुओं पर कराधान के विवादास्पद मुद्दे पर सहमति बनी.
18 फरवरी: जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी लागू करने के पहले पांच सालों में राज्यों को होने वाले किसी भी राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए क्षतिपूर्त विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दिया.
20 मार्च: मंत्रिमंडल ने सीजीएसटी, आईजीएसटीऔर यूटी जीएसटी और क्षतिपूर्त विधेयक मंजूरी दी. लोकसभा और राज्यसभा ने चारों अहम जीएसटी विधेयकों- केंद्रीय जीएसटी, समेकित जीएसटी, राज्य जीएसटी और केंद्रशासित प्रदेश जीएसटी (यूटीजीएटी) को पारित किया.
18 मई 2017: जीएसटी काउंसिल ने 1200 से ज्यादा वस्तुओं को 5, 12, 18 और 28 फीसदी के जीएसटी खांचों में बांटा गया. रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली 80 फीसदी से ज्यादा वस्तुओं को छूट दी गयी या 5 फीसदी की श्रेणी में रखा गया.
जीएसटी काउंसिल ने राज्यों को मुआवजा देने के लिए कोष तैयार करने के वास्ते लग्जरी और स्वास्थ्य के नुकसानदायक वस्तुओं पर उपकर तय किया.
19 मई : जीएसटी काउंसिल ने सेवा कर श्रेणियों के तौर पर 5, 12, 18 और 28फीसदी पर फैसला किया.
21 जून: सभी राज्यों ने राज्य जीएसटी विधेयक पारित किया. जम्मू कश्मीर अपवाद रहा.
28/29 जून: पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने जीएसटी लागू करने के आधी रात के कार्यक्रम से दूर रहने का पार्टी के फैसले का ऐलान किया. कांग्रेस और वामदलों ने भी इस कार्यक्रम से दूर रहने का फैसला लिया.
30 जून रात 12 बजे/1जुलाई 2017: जीएसटी लागू हो चुका है और देश का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार 17 साल के लंबे सफर को पूरा करके अपने मुकाम पर पहुंच गया है.
संसद को जीएसटी के लिए पूरी तरह सजा दिया गया है. Picture Credit/अभिषेक कुमारकरीब 17 साल के उतार चढ़ाव के बाद राष्ट्रव्यापी माल और सेवा कर-गुडस एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) आज आधी रात को लागू हो जाएगा. यह व्यवस्था इस प्रकार भारत की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव लाते हुए एकल बाजार में 2000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था और 1.3 अरब लोगों को आपस में जोड़ेगी.
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