Dollar-Rupee Level in 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव (US President Elections) में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की जीत के बाद से ही डॉलर (Dollar) के मुकाबले रुपये (Rupee) में लगातार गिरावट देखी जा रही है. एक डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी गिरकर करीब 85 रुपये के लेवल के करीब आ पहुंचा है. 2 दिसंबर को एक डॉलर के मुकाबले रुपया 84.76 रुपये के लेवल पर आ गया. ट्रंप की जीत के बाद से डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) में मजबूती आ रही है और जनवरी में उनके व्हाइट हाउस में आने के बाद डॉलर के और मजबूत होने और दूसरे करेंसी के कमजोर होने के कयास लगाये जा रहे हैं जिसमें रुपया भी शामिल है. ऐसे में सवाल उठता है कि नए साल 2025 में रुपया कितना गिरेगा?
डोनाल्ड ट्रंप के फैसले से गिरेगा रुपया!
डोनाल्ड ट्रंप की सरकार अमेरिका में आने वाले विदेशी वस्तुओं पर भारी भरकम टैरिफ लगा सकती है जिससे कंज्यूमर्स के ये वस्तुएं खरीदना महंगा हो जाएगा. इससे महंगाई बढ़ने का जोखिम बना हुआ है. ट्रंप के इस फैसले की आशंका के चलते अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) को ब्याज दरों को ऊंची दरों पर बनाए रखना होगा. सेंट्रल बैंक के इस फैसले से डॉलर और मजबूत हो सकता है. डोनाल्ड ट्रंप अपने ट्रेड पॉलिसी के तहत इंपोर्ट पर 10 फीसदी से ज्यादा का टैरिफ लगा सकते हैं इसका असर रुपये पर पड़ने की संभावना है. इससे रुपये में और भी कमजोरी देखी जा सकती है.
50 अरब डॉलर घट गया विदेशी मुद्रा भंडार
रुपये में कमजोरी को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने पूरा जोर लगाया हुआ है. आरबीआई ने अपने विदेशी करेंसी रिजर्व से बड़े पैमाने पर डॉलर बेचा है जिससे रुपये में गिरावट को थामा जा सके. 27 सितंबर 2024 को खत्म हुए सप्ताह में आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार 704.88 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड हाई पर जा पहुंचा था जो 22 नवंबर 2024 को खत्म हुए सप्ताह में घटकर 656.58 बिलियन डॉलर के लेवल पर आ गया है. यानि दो महीने में विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 50 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है. इसकी बड़ी वजह अक्टूबर-नवंबर महीने में भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों बिकवाली है तो दूसरा बड़ा कारण आरबीआई की ओर रुपये को थामने के लिए बेचा गया डॉलर शामिल है. विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में 11 बिलियन डॉलर तो नवंबर में 1.5 बिलियन के शेयर्स बेच डाले.
अर्थव्यवस्था में कमजोरी से गिरेगा रुपया!
रुपये के कमजोर होने की बात को हवा इससे भी मिल रही है कि अक्टूबर 2024 में खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी के पार और खाद्य महंगाई दर 11 फीसदी के करीब जा पहुंची है. वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में आरबीआई और सरकार के अनुमानों के उलट आर्थिक विकास दर घटकर 5.4 फीसदी पर आ गई है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के ग्रोथ में सबसे ज्यादा कमजोरी रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था में आई इस कमजोरी से आने वाले महीनों में रुपये के और गिरने की आशंका है. रुपया कमजोर हुआ तो देश में महंगाई और बढ़ सकती है क्योंकि आयात महंगा हो जाएगा. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज (Motilal Oswal Financial Services Ltd) वेल्थ मैनेजमेंट के रिसर्च हेड, सिद्धार्थ खेमका ने कहा, दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट (GDP Growth Rate) सात महीने के निचले लेवल 5.4 फीसदी पर आ गया है. ऐसे में अर्थव्यवस्था में आई इस कमजोरी के चलते भारतीय रुपया घटकर रिकॉर्ड लो पर आ गया है.
2025 में रुपया होगा और कमजोर!
जानकारों के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी जारी रही तो आरबीआई आगे भी हस्तक्षेप कर सकता है इससे विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आएगी. साथ ही जो वैश्विक स्थिति बनी हुई है उसमें रुपये के साल 2025 में मजबूत होने की संभावना बेहद कम नजर आ रही है बल्कि डॉलर के मुकाबले रुपया और कमजोर हो सकता है.
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