Infosys CEO Salil Parekh: सलिल पारेख ( Salil Parekh) ने जब इंफोसिस ( Infosys) के सीईओ ( Chief Executice Officer) और मैनेजिंग डायरेक्टर ( Managing Director) का 2018 में कार्यभार संभाला तब देश की सबसे की ये सबसे प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल आईटी कंपनी बेहद विवादों में घिरी थी. इंफोसिस ( Infosys) के फाउंडर सदस्यों और तात्कालीन सीईओ विशाल सिक्का के बीच सार्वजानिक तौर पर एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी चल रही थी. जिससे इंफोसिस के क्लाइंट ( Clients) के साथ साथ निवेशकों ( Investors) का भरोसा डगमगा रहा था. इंफोसिस ( Infosys), टीसीएस ( TCS) से लगातार पिछड़ती जा रही थी.
जनवरी 2018 से संभाला कार्यभार
तब इंफोसिस बोर्ड ने ये जानकारी दी कि सलिल पारेख को इंफोसिस का नया सीईओ और एमडी नियुक्त करने का फैसला लिया गया. सलिल पारेख पर प्रोमोटरों को साथ लेकर चलते हुए क्लाइंट्स और निवेशकों का भरोसा जीतने की जिम्मेदारी थी. कंपनी जो जमीन खो रही थी उसे वापस हासिल करना था. और अब सलिल पारेख को इंफोसिस का बागडोर संभाले हुए चार साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है. इन चार वर्षों में उन्होंने जो इंफोसिस का कायाकल्प किया वो बेहद सराहनीय है. इंफोसिस को दोबारा वहीं मुकाम दिलाने में उन्होंने मदद की. उनके कार्यकाल में इंफोसिस का कारोबार भी बढ़ा और मुनाफा भी. तो निवेशकों को उनके निवेश पर दोगुना से ज्यादा रिटर्न भी बीते चार सालों में मिला है.
कैसे किया इंफोसिस का कायाकल्प
2018 में इंफोसिस के सीईओ का पदभार संभालने के बाद सलिल पारेख ने सबसे पहले क्लाइंट्स का भरोसा जीता. कंपनी ने बड़े डील हासिल किए तो काफी संख्या में नए क्लाइंट कंपनी के साथ जुड़े. सलिल पारेख के कार्यकाल में इंफोसिस के रेवेन्यू के साथ प्रॉफिट में जबरदस्त उछाल देखने को मिला. 2 जनवरी 2018 के बाद से इंफोसिस के मार्केट कैपिटलाईजेशन में 200 फीसदी बढ़ चुका है. जो अभी 6.37 लाख करोड़ रुपये है. 2018 में इंफोसिस के रेवेन्यू में डिजिटल रेवेन्यू की हिस्सेदारी केवल 25.5 फीसदी थी जो सलिल पारिख के कार्यकाल में बढ़कर 58.5 फीसदी पर जा पहुंची है. 100 मिलियन डॉलर वाले बड़े क्लाइंट्स की संख्या 20 से बढ़कर 37 हो गई है. आज इंपोसिस का पास 4 बिलियन डॉलर कैश है और कंपनी पर कोई कर्ज बकाया नहीं है.
जानें सलिल पारेख के बारे में
इंफोसिस ज्वाइन करने से पहले सलिल पारेख दुनिया की दिग्गज आईटी कंपनी कैपजेमिनी ( Capgemini) के ग्रुप एक्जीक्यूटिव बोर्ड में सदस्य थे. कैपजेमिनी ( Capgemini) में 25 सालों तक वे महत्वपूर्ण पद पर तैनात थे और उन पर बड़ी जिम्मेदारियां भी थी. वे नार्थ अमेरिका में कैपजेमिनी ( Capgemini) के टर्नराउंड स्टोरी का आर्किटेक्ट भी कहा जाता है. वे Ernst & Young के पार्टनर भी थे और कंसलटेंसी फर्म के भारत में ऑपरेशन बढ़ाने का श्रेय उन्हें जाता है.
सलिल पारेख की पढ़ाई
सलिल पारिख ने आईआईटी बॉम्बे से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री हासिल की है साथ ही उन्होंने Cornell University से कम्प्यूटर साइंस और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री हासिल की है. इंफोसिस में सलिल पारेख सीधे चेयरमैन नंदन निलेकणि को रिपोर्ट करते हैं और कंपनी के फाउंसर एन आर नारायणमूर्ति के भरोसे को भी जीतते में उन्होंने कामयाबी हासिल की है.
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