Budget 2021: जानें 1950 में कितना था इनकम टैक्स और अब कितना हो चुका है, जान लें सारी Information
आपकी सालाना आय पर केंद्र सरकार जो कर वसूल करती है, उसे इनकम टैक्स कहते हैं. इसे हिंदी में आयकर कहा जाता है. आजादी के बाद भारत में पहली बार 1949-50 के बजट में इनकम टैक्स की दरें तय की गई थीं.
इनकम टैक्स ऐसी चीज़ है जिसको लेकर हमेशा चर्चा होती रहती है, कितना टैक्स लिया जाए, इसे लेकर न देश में न दुनिया कोई एक मानक है, बल्कि समय समय पर ये बदलते रहते हैं. लेकिन दिलचस्प ये है कि टैक्स हर दौर में रहा है. आजादी के बाद भारत में पहली बार 1949-50 के बजट में इनकम टैक्स की दरें तय की गई थीं. इस बजट के पहले 10 हजार की आमदनी पर 1 आने यानी 4 पैसे टैक्स चुकाना पड़ता था. जिसे घटाकर 10,000 रुपए तक की आमदनी पर 3 पैसे कर दिया गया. जबकि, 10,000 रुपये से अधिक आय वालों पर लगने वाले टैक्स को 2 आने से कम करके 1.9 आना कर दिया गया.
साल 1950 में 1,500 रुपये तक की आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं चुकाना था. जबकि 1,501 रुपये से 5,000 रुपये की आय तक 9 पाई यानी 4.69 फीसदी इनकम टैक्स चुकाना पड़ता था. जिनकी आय 5,001 रुपये से 10,000 रुपये तक थी उन्हें एक आना और 9 पाई यानी 10.94 फीसदी इनकम टैक्स चुकाना होता था. जिन व्यक्तियों की आय 10,001 रुपये से 15,000 रुपये तक थी. उन्हें 21.88 फीसदी इनकम टैक्स चुकाना पड़ता था. वहीं 15,001 रुपये से अधिक आय वालों को 31.25% कर चुकाना होता था. इसके बाद 1955 में टैक्स में बदलाव किए गए.
क्या है मौजूदा इनकम टैक्स? वर्तमान इनकम टैक्स के नियम के अनुसार 2.5 लाख रुपये की आय तक के लोगों को टैक्स फ्री रखा गया है. जबकि 2.5 लाख रुपये की आय से 5 लाख रुपये तक की आय के लोगों को 5 फीसदी इनकम टैक्स चुकाना पड़ता है. वहीं जिन लोगों की आय 5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये तक है. उन्हें अपनी आय पर 10 फीसदी इनकम टैक्स चुकाना पड़ता है. जिनकी आय 7.5 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक है. उन्हें 15 फीसदी इनकम टैक्स चुकाना पड़ता है. जिन व्यक्तियों की आय 10 लाख रुपये से लेकर 12.5 लाख रुपये तक है. उन्हें अपनी आय का 20 फीसदी इनकम टैक्स चुकाना पड़ता है. जो 12.5 लाख रुपये से लेकर 15 लाख रुपये तक आय वाले लोग हैं. उन्हें 25 फीसदी इनकम टैक्स चुकाना पड़ता है. जबकि 15 लाख रुपये से अधिक आय वाले लोगों को 30 फीसदी टैक्स चुकाना पड़ता है.
क्या होता है इनकम टैक्स? आपकी सालाना आय पर केंद्र सरकार जो कर वसूल करती है, उसे इनकम टैक्स कहते हैं. इसे हिंदी में आयकर लिखा और कहा जाता है. यह हर व्यक्ति की आय के अनुसार अलग-अलग दर से वसूल की जाती है. यही इनकम टैक्स व्यावसायिक संस्थाओं पर कॉरपोरेट टैक्स के रूप में वसूला जाता है.
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