पंकज मठपाल

नई दिल्लीः नेहा को जब उसके अकाउंट डिपार्टमेंट से इन्वेस्टमेंट प्रूफ जमा करने से सम्बंधित ईमेल आया तो उसे याद आया की उसने तो अभी तक अपनी टैक्स प्लानिंग पूरी की ही नहीं है. और फिर वे असमंजस में पड़ गयी कि अब आखिरी वक्त पर किस तरह से टैक्स बचाया जाए. नेहा जैसे कितने ही ऐसे करदाता हैं जिन्हें अकाउंट डिपार्टमेंट से ईमेल मिलने पर याद आता है उनसे चूक हुई है. वैसे तो टैक्स प्लानिंग वित्तीय वर्ष के शुरूवात में ही प्रारंभ कर देनी चाहिए ताकि समय से इसे पूरा किया जा सके किन्तु कई बार विभिन्न कारणों से यह आखिरी वक़्त के लिए टाल दी जाती है. और नतीजा यह होता है कि आखिरी वक्त पर समझ नहीं आता कि कहां पर निवेश करें ताकि टैक्स की बचत के साथ साथ निवेश आर्थिक लक्ष्यों को हासिल करने में भी सहायक हो. वित्तीय वर्ष 2017-18 अपने अंतिम चरण में है और अब यह आखिरी मौका है की यदि प्लानिंग में कोई कमी रह गयी हो तो उसको पूरा कर लिया जाए.


आयकर की गणना
सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि आपकी कुल आय पर कितना टैक्स लगने वाला है और आपको विभिन्न टैक्स बचत योजनाओं में कितना निवेश करना चाहिए. हमारे देश में प्रगतिशील कर प्रणाली है. यानि की जैसे जैसे व्यक्ति की आय बढती जाती है वैसे वैसे आयकर का प्रतिशत भी बढता जाता है. 2.50 लाख तक की राशि से कम वार्षिक आय वाले व्यक्तियों को कोई आयकर नहीं चुकाना होता. जिनकी आय 2.50 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच है उन्हें 2.50 लाख रुपये से अधिक की राशि पर 5 प्रतिशत का आयकर चुकाना होता है. 5 लाख से 10 लाख रुपये तक की आमदनी वाले लोगों को पहले 2.50 लाख पर कोई टैक्स नहीं लगेगा किन्तु अगले 2.50 लाख पर 5 प्रतिशत और उसके ऊपर की राशि पर 20 प्रतिशत के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा. जिनकी वार्षिक आय 10 लाख से अधिक है उन्हें पहले 10 लाख पर 112500 रुपये और उससे ऊपर की राशि पर 30 प्रतिशत के हिसाब से आयकर चुकाना होगा. यदि किसी व्यक्ति की वार्षिक आय 50 लाख से अधिक है तो उन्हें आयकर के ऊपर सरचार्ज भी देना होता है. यह भी जानना जरूरी है कि जिन व्यक्तियों की वार्षिक आय 3.50 लाख तक हैं उन्हें आयकर की धारा 87 ए के तहत आयकर में 2500 रुपये तक की छूट भी मिलती है.


टैक्स बचत योजनाओं में निवेश
आयकर कानून के मुताबिक कुछ विशेष योजनाओं जैसे की पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड, एनएससी, पांच साल वाले बैंक फिक्स्ड डिपाजिट, टैक्स सेविंग म्यूचुअल फण्ड इत्यादि में निवेश करके आप अपना आयकर बचा सकते है. आयकर की धारा 80 सी के तहत इन योजनाओं में 1.50 लाख तक निवेश करके टैक्स में छूट पायी जा सकती है. यह निवेश वित्तीय वर्ष के दौरान कभी भी किया जा सकता है लेकिन यदि आपने अभी तक ऐसा नहीं किया है तो जल्दी ही इसे पूरा कर लें. यदि 31 मार्च की तारीख निकल गयी तो इस वित्तीय वर्ष के लिए आपको इसका लाभ नहीं मिल पायेगा. आपके कर्मचारी भविष्य निधि में योगदान, बच्चों की स्कूल फीस व वित्तीय वर्ष के दौरान होम लोन पर चुकाई गयी मूलधन की राशि भी आयकर की धारा 80 सी के तहत शामिल की जा सकती है इसलिए निवेश करने से पहले यह जरूर देख लें कि इन सब के अतिरिक्त आपको और कितना निवेश करने की आवश्यकता है.


नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश
आप सरकार द्वारा संचालित पेंशन योजना में 50,000 रुपये तक निवेश करके आयकर की धारा 80 सीसीडी (1 बी) के तहत अतिरिक्त छूट का लाभ ले सकते हैं. यह स्कीम डाक घरों व सरकारी बैंकों के अलावा कई गैर सरकारी बैंकों व निजी क्षेत्रों की कम्पनिओं में भी उपलब्ध है.


हेल्थ इन्श्योरेंस
यदि आप अपने या अपने परिवार के लिए हेल्थ इन्श्योरेंस पालिसी लेते हैं तो उसके प्रीमियम पर आपको आयकर की धारा 80 डी के तहत टैक्स में छूट मिलती है. इस के अतिरिक्त यदि आप अपना हेल्थ चेक-अप कराते हैं तो 5000 रुपये तक के खर्च को भी आप इसमें जोड़कर टैक्स में छूट का लाभ पा सकते हैं.


होम लोन पर टैक्स में छूट
यदि आपने होम लोन लिया है तो उस पर चुकाए गए 2 लाख तक लोन पर भी आपको टैक्स में छूट मिल सकती है. इसका प्रमाणपत्र आप अपने बैंक से ले सकते हैं. यदि आपने घर किराए पर दिया है तो किराए के रूप में हुई आमदनी को अपनी आय में जोड़ना ना भूलें. यदि आपने एक से अधिक घरों के लिए लोन लिया है तो भी आप अधिकतम 2 लाख तक चुकाए गए ब्याज पर टैक्स में छूट पा सकते हैं.


यदि आप वेतन भोगी कर्मचारी हैं और अपने दफ्तर से मेडिकल खर्च पाने के लिए योग्य हैं तो अपने मेडिकल बिल अपने नियोक्ता को देना न भूलें. साथ ही यदि आप किराए के मकान में रह रहे हैं तो किराये की रसीद अपने दफ्तर में जमा कराना न भूलें. यदि आपके ऑफिस में निवेश के प्रमाण जमा करने की आखिरी तारीख निकल चुकी है और आपने आपने अपनी इनकम टैक्स प्लानिंग के मुताबिक निवेश नहीं किया है तो भी उसे पूरा जरूर कर लें. यदि आपका नियोक्ता उस निवेश की रसीद को लेने से इनकार कर दे तो आप अपना आईटीआर भरते समय अपना रिफंड क्लेम कर सकते हैं.


लेखक ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और फाइनेंशियल मुद्दों पर अपनी प्रॉफेशनल राय देते हैं.