नई दिल्लीः सोने के गहने या पुराना सोना बेचने जा रहे हैं, चिंता मत कीजिए. इस पर जीएसटी यानी वस्तु व सेवा कर नहीं लगेगा.
दरअसल, बुधवार को जीएसटी की मास्टरक्लास में कहा गया था कि अगर आप पुराना गहना सर्राफा व्यापारी को बेचते हैं तो वो उस पर जीएसटी काटकर भुगतान होगा. तकनीकी भाषा में इसे रिवर्स चार्ज की व्यवस्था कहते हैं. ऐसी व्यवस्था में जो लोग जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड नहीं है, यदि वो किसी तरह का सामान या सेवा, कीमत के बदले में रजिस्टर्ड व्यवसायी को मुहैया कराते हैं तो उस पर जीएसटी लगाने का अधिकार रजिस्टर्ड पक्ष को होता है.
आम बोलचाल की भाषा में कहें तो सामान या सेवा के लिए भुगतान जीएसटी काटकर किया जाएगा. सोने के संदर्भ में देखा जाए तो यदि गहने के बदले में 10 हजार रुपये का भुगतान होना है तो व्यापारी 9,700 रुपये का भुगतान करेगा और बाकी 300 रुपये वो सरकारी खजाने में जमा कराएगा. ध्यान रहे कि सोना या सोने के गहने पर जीएसटी की दर 3 फीसदी है.
फिलहाल, वित्त मंत्रालय की मानें तो रिवर्स चार्ज की व्यवस्था में कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है. मसलन, जो व्यक्ति सोना बेचने आया है, क्या यह उसका व्यवसाय है या फिर वो व्यक्तिगत स्तर पर किसी कारणवश सोना बेचने आया है. नियम कहता है कि यदि पुराने गहने बेचना किसी का व्यवसाय है और वो रजिस्टर्ड व्यवसायी के पास सोना बेचने गया तो वहां पर रिवर्स चार्ज की व्यवस्था लागू होगी. मतलब ये कि रजिस्टर्ड व्यवसायी तीन फीसदी की दर से जीएसटी वसूलेगा और उसके बाद की रकम का भुगतान करेगा.
अब व्यक्तिगत स्तर पर कोई गहना बेच रहा है तो भले ही वो कीमत पाने के लिए ही कर रहा है, लेकिन ये उसका व्यवसाय नहीं है, इसीलिए नियम में ये व्यवस्था की गयी है कि ऐसी स्थिति में रिवर्स चार्ज की व्यवस्था लागू नहीं होगी. मतलब ये कि सोने की पूरी-पूरी कीमत मिलेगी. दूसरे शब्दों में कहें तो 10 हजार रुपये कीमत तय होती है तो व्यापारी यहां पूरा-पूरा 10 हजार रुपये का भुगतान करेगा.
यहां एक और बात समझने की जरुरत है. अगर आप अपने पुराने डिजाइन के गहने को सर्राफा व्यवसायी को देते हैं और कहते हैं कि वो नए डिजाइन के गहने बनाकर दे तो यहां पर सिर्फ मेकिंग चार्ज पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी देना होगा. सोने की कीमत पर अलग से कोई जीएसटी नहीं लगेगा.