RBI MPC Meeting: अमेरिका की सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार को एक बार फिर कर्ज महंगा कर दिया. फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में एक चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी कर ब्याज दरों को 5.25 से लेकर 5.50 फीसदी के रेंज में ला दिया जो 22 वर्ष का उच्च स्तर है. फेड रिजर्व ने अमेरिका में कमरतोड़ महंगाई के चलते कर्ज महंगा किया है. उसका लक्ष्य महंगाई दर को 2 फीसदी तक लाना है. पर सवाल उठता है कि फेड रिजर्व के इस फैसले का भारत पर क्या असर होगा. भारत की सेंट्रल बैंक आरबीआई की भी मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक 8 से 10 अगस्त 2023 तक होने वाली है. 


खाद्य महंगाई ने बढ़ाई आरबीआई की मुश्किल


आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास जुलाई महीने के लिए खुदरा महंगाई दर के आंकड़े घोषित होने से पहले ही मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा करेंगे. पर आरबीआई की एमपीसी की बैठक तब हो रही जब देश में खाद्य महंगाई में जोरदार उछाल देखा जा रहा है. टमाटर अदरक समेत साग-सब्जियों की कीमतें लोगों की जेब पर डाका डाल रही है. चावल-दाल और गेहूं की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है. यही वजह है कि जून महीने में खुदरा महंगाई दर 4.81 फीसदी पर आ गई जो मई में 4.25 फीसदी रही थी. खाद्य महंगाई में इजाफा होने के चलते खुदरा महंगाई बढ़ी है.  


अप्रैल-जून में पॉलिसी रेट्स को किया होल्ड


ऐसे में सवाल उठता है कि आरबीआई ब्याज दरों को लेकर क्या निर्णय लेती है?  इससे पहले अप्रैल और जून महीने में आरबीआई  ने एमपीसी बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया था. लेकिन आरबीआई गवर्नर ने साफतौर पर कहा था कि महंगाई के खिलाफ युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है. और उनका ये कथन सच साबित हो रहा है. खाद्य महंगाई आरबीआई की मुसीबत को बढ़ाने जा रहा है. इसके बावजूद जानकारों का मानना है कि आरबीआई अपने एमपीसी बैठक में पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं करेगा. 


आरबीआई होल्ड करेगा पॉलिसी रेट्स!


एसबीआई की पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट बृंदा जागीरदार के मुताबिक, देश में भारी बारिश से खरीफ फसल को नुकसान हुआ है. दाल का उत्पादन 15 फीसदी तक कम रहने का अनुमान है. हमारे यहां महंगाई दर 5 फीसदी के आसपास है, केवल खाद्य महंगाई को लेकर थोड़ी चिंता बनी हुई है. पर आरबीआई मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में पॉलिसी रेट्स में कोई बदलाव नहीं करेगा और फिलहाल ब्याज दरों को कम करने का तो सवाल ही नहीं उठता है. फेड रिजर्व के कर्ज महंगा करने पर उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोप में अभी भी महंगाई बहुत ज्यादा है. और ये कम होने वाले नाम नहीं ले रही है. वैश्विक अनिश्चितता बनी हुई है. खाद्य महंगाई बहुत ज्यादा है. भारत ने चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है इससे भी महंगाई बढ़ेगी. इसी के चलते फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. पर भारत का मामला इससे अलग है. लेकिन हमें सतर्क रहने की जरूरत है. 


Blinx के एमडी गगन सिंग्ला के मुताबिक आरबीआई के लिए राहत की बात ये है कि फेड ने इस बात के संकेत दिए हैं ब्याज दरें अब अपने पीक पर है. इससे फरवरी बाद से आरबीआई का जो रूख रहा है उसपर मुहर लगी है. साथ ही फेड के बीते एक साल में 1 ट्रिलियन डॉलर के बॉन्ड टेपर का भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश पर कोई असर नहीं पड़ा है.  अगर ब्याज दरें बढ़ने का सिलसिला थम जाता है तो आरबीआई के पॉलिसी लेवल पर निर्णय लेने के विकल्प खुल जायेंगे. 


बंटी हुई है एमपीसी!


वैसे पॉलिसी रेट्स को लेकर आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के सदस्यों की भी राय बंटी हुई है. पिछले एमपीसी बैठक के जो मिनट्स जारी हुए उसके मुताबिक आरबीआई एमपीसी के सदस्य जयंत वर्मा मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के रूख पर सवाल खड़े कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि मॉनिटरी पॉलिसी उस खतरनाक लेवल के नजदीक है जहां से वो अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकती है. कमिटी की दूसरे सदस्य आशिमा गोयल ने अपने स्टेटमेंट में लिखा कि रेपो रेट को लंबे समय तक ज्यादा ऊपर रखने से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है.   


आरबीआई गवर्नर की चुनौती!


ऐसे में आरबीआई गवर्नर के सामने चुनौतियों कम नहीं है. एक तरफ उन्हें महंगाई से भी निपटना है तो दूसरी तरफ ये भी सुनिश्चित करना है कि कर्ज ज्यादा महंगा ना हो जिससे अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचे.  


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