TCS Update: राजेश गोपीनाथन ने जैसे ही टीसीएस के सीईओ पद से इस्तीफा दिया, टाटा संस के चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन उनके इस्तीफे को स्वीकार करने में कतई देरी नहीं की. रिपोर्ट के मुताबिक हाल के दिनों में जिस प्रकार राजेश गोपीनाथन टीसीएस को चला रहे थे उससे चंद्रशेखरन खुश नहीं थे जो खुद पूर्व में टीसीएस के सीईओ रह चुके हैं. 


राजेश गोपीनाथन की कार्यशेली के तौर तरीके और कंपनी का फीका प्रदर्शन टाटा समूह और चेयरमैन के लिए चिंता का कारण बना हुआ था.  गोपीनाथन के कार्यकाल के दौरान टीसीएस का रेवेन्यू मार्च 2017 के 4.45 अरब डॉलर से बढ़कर दिसंबर 2022 में 59 फीसदी के उछाल के साथ 7.075 अरब डॉलर तक जा पहुंचा था. लेकिन टीसीएस के मुकाबले उसकी प्रतिद्वंदी इंफोसिस ने 2020, 2021 और 2022 के दौरान ज्यादा तेज गति से विकास किया. Accenture ने भी टीसीएस के मुकाबले 2021 और 2022 में ज्यादा ग्रोथ दिखाया था. 


1 अप्रैल 2017 से लेकर 31 मार्च 2023 तक टीसीएस ने 10 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू दर्ज किया. जबकि इस अवधि में इंफोसिस ने 8.5 अरब डॉलर का रेवेन्यू दर्ज किया. वित्तीय प्रदर्शन के लिहाज से इंफोसिस और टीसीएस के बीच की खाई मिटती जा रही थी, बीते वर्ष टीसीएस का रेवेन्यू 25.7 अरब डॉलर रहा तो इंफोसिस का 16.3 अरब डॉलर रहा है. Accenture का रेवेन्यू 61.5 अरब डॉलर रहा है और केवल बीते छह वर्ष में कंपनी ने 30 अरब डॉलर का रेवेन्यू जोड़ा है. 


रिपोर्ट्स के मुताबिक राजेश गोपीनाथन किसी भी व्यक्ति के वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए रिव्यू मीटिंग में उनपर भड़क जाते थे. इससे टीसीएस के सीनियर लोग बेहद खफा थे और इससे गलत संदेश भी जा रहा था. जबकि नटराजन चंद्रशेखरन का अंदाज इसके बिलकुल उलट था जिनके व्यवहार के लोग कायल थे. 


मतभेद की वजह ये भी है कि नटराजन चंद्रशेखरन क्लाइंट से कॉंट्रैक्ट लाने के लिए उसके दरवाजे पर इंतजार करने से परहेज नहीं करते थे. जबकि राजेश गोपीनाथन केवल कस्टमर कंपनी के सीईओ से मिलना पसंद करते थे. साथ ही राजेश गोपीनाथन का फोकस कंपनी के बॉटमलाइन यानि मुनाफे और मार्जिन को बरकरार रखने पर रहता था. मार्जिन बचाने के लिए वे मल्टी मिलियन डॉलर की भी तिलांजलि दे देते थे. 


रिपोर्ट के मुताबिक इंफोसिस और Accenture Plc के मुकाबले टीसीएस के गिरते प्रदर्शन से नटराजन चंद्रशेखरन बेहद निराश थे. मिंट के रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रशेखरन ने बीते वर्ष स्विटजरलैंड में अगस्त में हुई स्ट्रैटजिक मीटिंग में कंपनी के दूसरी कंपनियों के मुकाबले गिरते  वित्तीय प्रदर्शन को लेकर नाखुशी भी जताई थी. 


राजेश गोपीनाथन  ने बोर्ड के सामने इस्तीफे की पेशकश की तो तीन सदस्यों वाली कमिटी जिसके अध्यक्षता एसबीआई के पूर्व चेयरमैन ओ पी भट्ट कर रहे थे  उन्होंने के कृतिवासन के नाम पर अपनी मुहर लगा दी. नटराजन चंद्रशेखरन भी कमिटी में शामिल थे. रिपोर्ट के मुताबिक नटराजन चंद्रशेखरन ने टाटा समूह के चेयरमैन एमरिटस रतन टाटा को इन तमाम बदलाव के लिए पहले से विश्वास में ले रखा था.  


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