नई दिल्ली: आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी विप्रो के कार्यकारी चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने रिटायर होने की घोषणा की है. 30 जुलाई को वह अपने पद से रिटायर होंगे और 31 जुलाई को उनका स्थान उनके बेटे रिशद प्रेमजी लेंगे. अजीम प्रेमजी पचास साल से कंपनी की बागडोर संभालने रहे हैं. पद छोड़ने की घोषणा के बाद उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि रिशद कंपनी को नई ऊंचाईयों पर ले जाएंगे. बता दें कि रिटायर होने के बाद भी अजीम प्रेमजी जुलाई 2024 तक गैर-कार्यकारी निदेशक और कंपनी के संस्थापक चेयरमैन बने रहेंगे. यहां जानिए उनकी सफलता की कहानी.


पिता के निधन के बाद कोर्स छोड़कर संभाला पारिवारिक बिजनेस


अजीम प्रेमजी ने अमेरिका के स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का कोर्स किया है. इसके बाद अपने पिता के असामयिक निधन के बाद उन्हें 1966 में अपना पारिवारिक बिजनेस संभालना पड़ा. इनका पारिवारिक बिजनेस हाइड्रो जेनरेटेड कुकिंग फैट का था. उस समय अजीम प्रेमजी के पिता चावल के एक बड़े व्यापारी थे. इसके बाद मात्र 21 साल की उम्र में अजीम प्रेमजी विप्रो के चेयरमैन बन गए. विप्रो की स्थापना वेस्टर्न वेजिटेबेल प्रोडक्ट कंपनी के रूप में साल 1945 में हुई थी.


आईटी की दुनिया में साल 1980 में कदम रखा


विप्रो कंपनी ने आईटी की दुनिया में साल 1980 में पैर रखा. उस समय आईबीएम कंपनी भारत छोड़कर जा रही थी. इसका विप्रो को बहुत फायदा मिला. कंपनी ने अमेरिका की कई कंपनियों के साथ बिजनेस डील किए और कंपनी ने सफलता की अनेक कहानी गढ़ी. इसके बाद कंपनी ने कई अन्य क्षेत्र में भी कदम रखा.


फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिल चुका है


साल 2005 में अजीम प्रेमजी को पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया. फोर्ब्स के मुताबिक अजीम प्रेमजी भारत के तीसरे सबसे अमीर सीईओ हैं. साल 2011 में इन्हें पद्म विभूषण (भारत का दूसरा सर्वोच्च सम्मान) से सम्मानित किया गया. प्रेमजी को फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'शेवेलियर डी ला लीजन डी ऑनर' से भी नवाजा जा चुका है.


लोगों की मदद करने में रहते हैं आगे


अजीम प्रेमजी काफी सादगीभरा जीवन जीते हैं. वह अभी भी फ्लाइट के इकोनॉमी क्लास में फ्लाई करते हैं और महंगी कार भी नहीं चलाते हैं. बिजनेस दौरे के दौरान अजीम प्रेमजी महंगे होटल में रुकने की जगह कंपनी के गेस्ट होटल में ही ठहरते हैं. विकास से पीछे छूट गए लोगों को मदद करने में अजीम प्रेमजी काफी आगे रहते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने साल 2001 में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की. फाउंडेशन देश के अलग-अलग राज्यों में कई तरह के विकास कार्यों में लगा हुआ है. अजीम प्रेमजी देश के पहले अरबपति हैं जिन्होंने देश में स्कूली शिक्षा को ठीक करने के लिए दो अरब यूएस डॉलर का दान साल 2010 में किया है. फाउंडेशन ने बेंगलुरु में अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की स्थापना भी की है. इस यूनिवर्सिटी का उद्देश्य शिक्षा से जुड़े पेशेवर तैयार करना है.


 1.45 लाख करोड़ रुपए कर चुके हैं दान


अजीम प्रेमजी बिल गेट्स और वारेन बफेट की ओर से शुरू की गई पहल 'द गिविंग प्लेज' पर हस्ताक्षर करने वाले पहले भारतीय हैं. इस पहल के तहत अरबपति अपने धन का कम से कम आधा हिस्सा सामाजिक कार्यों के लिए दान करते हैं. आपको बता दें कि प्रेमजी अब तक अपने फाउंडेशन को 1.45 लाख करोड़ रुपए का दान दे चुके हैं.


73 साल की उम्र में भी वही जोश


73 साल के अजीम प्रेमजी अभी भी उसी जोश और उत्साह के साथ काम करते हैं जिस तरह वो आज से 50 साल पहले करते थे. एक कंपनी को शून्य से शिखर तक पहुंचाने में उनकी कामयाबी का दुनिया लोहा मानती है. देश में वह लाखों युवाओं के आदर्श हैं जो उनकी तरह बिजनेस की दुनिया में अपनी एक अलग छाप छोड़ना चाहते हैं और कुछ अलग करना चाहते हैं.


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