नई दिल्ली: हेल्थ इंश्योरेंस की मांग कोरोना काल में कुछ ज्यादा बढ़ गई है. बीमारी का सामना किसी भी व्यक्ति या परिवार को करना पड़ सकता है. इलाज का खर्चा किसी भी परिवार का बजट बिगाड़ सकता है.ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस लेना एक फायदे का सौदा है.


इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि हेल्थ इंश्योरेंस के साथ कंपनियां कई तरह की शर्तें लगाती है. इनमें से एक शर्त वेटिंग पीरियड की होती है.


क्या होता है वेटिंग पीरियड?
दरअसल जब आप कोई हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं तो इसका मतलब यह नहीं होता कि आपको इंश्योरेंस लेने के अगले दिन बाद से ही बीमा कवर मिलने लगेगा.


पॉलिसी खरीदने के बाद एक तय अवधि तक बीमा कंपनी से कोई लाभ का क्लेम नहीं किया जा सकता है. इस अवधि को ही वेटिंग पीरियड होता है. वेटिंग पीरियड की अवधि 15 से 90 दिनों तक की हो सकती है. इसलिए ऐसी हेल्थ इंश्योरेंस लेनी चाहिए जिसमें वेटिंग पीरियड कम से कम हो.


पुरानी बीमारियां 
हेल्श इंश्योरेंस प्लान में पुरानी बीमारियों को एक तय अवधि के बाद ही कवर किया जाता है. कुछ इंश्योरेंस कंपनियां 48 महीनों के बाद पुरानी बीमारियों का कवर करती हैं तो कुछ कंपनियां 36 महीने के बाद पुरानी बीमारियों को कवर करती हैं. अगर इस अवधि में आप पुरानी बीमारी की वजह से बीमार पड़ते हैं तो इलाज का खर्च आपको उठाना होगा. पॉलिसी खरीदते वक्त आपको पहले से मौजूद बीमारियों के बारे में बताना होता है.


सभी हेल्थ इंश्योरेंस आपको मैटरनिटी का लाभ नहीं देती हैं, और जो मैटरनिटी लाभ हैं वे 12-36 महीनों के वोटिंग पीरियड के साथ आते हैं. प्रेगनेंसी के लिए भी वेटिंग पीरियड से जुड़े नियम अलग-अलग होते हैं.


वेटिंग पीरियड कम करवाने के लिए क्या करें
आप चाहते हैं कि किसी विशेष बीमारी के लिए आपको जल्दी बीमा कवर मिले तो इसके लिए आपको ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे. आप थोड़ा अतिरिक्त भुगतान करके इसे कम कर सकते हैं. सबसे बेहतर हैं कि आप तीन चार पॉलिसियों की तुलना करें और सबसे कम वेटिंग पीरियड वाली पॉलिसी खरीदें.


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