डिजिटल/ऑनलाइन पेमेंट में ये ख्याल नहीं रखा तो हो जाएगा खाता खाली!
अपने बैंक खाते में एसएमएस अलर्ट या मेल अलर्ट की सुविधा जरूर लें ताकि जैसे ही आप कोई भी ऑनलाइन या नेट बैंकिंग की गतिविधि करें आपके पास तुरंत एसएमएस अलर्ट या मेल अलर्ट आ जाए. अगर कोई आपके बैंक खाते से ऑवलाइन माध्यम से छेड़छाड़ करता है तो तुरंत आपके पास मेल या फोन पर अलर्ट आ जाएगा और आप बैंक को फौरन सूचना दे सकते हैं कि ये ट्रांजेक्शन आप नहीं कर रहें है तो बैंक ट्रांजेक्शन रोक सकता है. साथ ही हमेशा ओटीपी का ऑप्शन सेलेक्ट करें जिससे आपके खाते से पैसा कटने से पहले आपके फोन पर ओटीपी आए और उसे डालने के बाद ही ट्रांजेक्शन पूरा हो सके. ऐसा करने से ये फायदा है कि अगर आपका कार्ड चोरी या खो जाने पर भी आपके फोन के बिना बैंक खाते से पैसा नहीं कट पाएगा.
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View In Appमोबाइल से ई-पेमेंट करते वक्त अपना मोबाइल किसी के भी हाथ में न दें. एप डाउनलोड करते वक्त सावधानी बरतें और मोबाइल स्क्रीन पर दिखने वाले विज्ञापन को क्लिक न करें, वर्ना आपका मोबाइल हैक हो सकता है. अगर आपका मोबाइल डाटा हैक हो गया तो संभावना है कि आपके मोबाइल बैंकिंग एप के जरिए आपके पैसे पर संकट आ जाए.
नोटबंदी के बाद देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन में 1000 फीसदी का इजाफा हुआ है. खुद लॉ एड आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बात का ऐलान हाल ही में किया था. जाहिर तौर पर जहां देश में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बेतहाशा तेज गति से बढ़ रहे हैं, वहीं इनके जरिए होने वाले ट्रांजेक्शन आरामदायक होने के साथ-साथ कुछ साइबर खतरों से भी जुड़े रहते हैं. नोटबंदी के बाद कालाधन रखने वाले तो परेशान ही हैं लेकिन डिजिटल धोखे का शिकार लोगों की संख्या भी बढ़ रही है. नोटबंदी के बाद से ही तकरीबन हर रोज ऑनलाइन फ्रॉड के 3-4 मामले सामने ऐसे आ रहे हैं. नेटबैंकिंग और ऑनलाइन भुगतान करने वालों में शामिल एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जिसे इस माध्यम की जानकारी कम है. इससे लापरवाही की आशंका ज्यादा है. लिहाजा साइबर सिक्योरिटी में सेंध के मामले में बढ़ रहे हैं. आपको सलाह दी जा रही है कि क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड के जरिए स्वाइप मशीन और मोबाइल फोन से ई-पेमेंट करने वालों को कुछ जरूरी सावधानी रखनी चाहिए.
आपके पास एक से ज्यादा बैंक खाते होने चाहिए और सारा पैसा एक खाते में ना रखकर अलग-अलग खातों में रखें तो आपके पैसे पर कम खतरा है. ये ठीक उसी तरह कि जब आप सफर करते समय अलग-अलग बैग-अटैची में पैसा रखते हैं ताकि चोरी होने की सूरत में सारा पैसा ना चला जाए.
खरीददारी या बिल भुगतान के लिए आप अपना क्रेडिट कार्ड कैशियर को देते हैं और वो स्वाइप कार्ड जैसी दिखने वाली मशीन को स्क्रेच करता है. क्रेडिट कार्ड के मैग्नेटिक स्ट्रिप (पट्टी ) में गुप्त जानकारी मशीन में कॉपी हो जाती है. इस जानकारी के आधार पर या तो डुप्लीकेट क्रेडिट कार्ड बनाया जाता है या फिर क्रेडिट कार्ड की गुप्त जानकारी हैकरों को बेच दी जाती है. आपकी सीक्रेट डिटेल्स मिलते ही दुनिया में किसी भी कोने में बैठे ठग क्रेडिट कार्ड के जरिए पलक झपकते ही लाखों पर हाथ साफ कर सकते हैं. इससे बचने के लिए रेस्त्रां, बार, शॉपिंग करते समय दूसरों को ना देकर खुद जाकर स्वाइप कराएं.
एक्सपर्ट के मुताबिक इंटरनेट पर कई वायरस भी होते हैं जो आपके फोन, लैपटॉप, कंप्यूटर से डेटा चोरी कर सकते हैं तो इनसे बचने के लिए फोन में एंटी वायरस जरूर रखें और किसी भी संदिग्ध वेबसाइट को क्लिक ना करें.
अपना मोबाइल बैंकिंग पिन, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड पिन किसी को ना बताएं. ये ऐसा माध्यम है जिसके जरिए सिर्फ फोन से आपके खाते का सारा पैसा ट्रांसफर किया जा सकता है.
इस समय देश में 40-45 फीसदी भुगतान मोबाइल डिवाइस के माध्यम से किए जा रहे हैं और साइबर फ्रॉड का खतरा 60-65 फीसदी बढ़ने का अनुमान है. क्रेडिट और डेबिट कार्ड धोखाधड़ी के मामले साइबर अपराध की लिस्ट में शीर्ष पर है और पिछले 3 सालों में इन मामलों में 6 गुना तेजी आई है. एक रिसर्च के मुताबिक ऑनलाइन बैंकिंग की शिकायतों से जुड़े 46 फीसदी मामले क्रेडिट/डेबिट कार्ड धोखाधड़ी के होते हैं.
हम आपको आगाह कर रहे हैं कि ई-पेमेंट के वक्त सावधानी बरतें. वर्ना साइबर क्रिमिनल आपके बैंक खाते में सेंध लगाकर एक क्लिक से आपके बैंक अकाउंट को खाली कर सकते हैं. वो लोग आपकी रकम को अपने खाते में ट्रांसफर भी कर सकते हैं और उन पैसों से ऑनलाइन शापिंग भी कर सकते हैं. डिजिटल डकैत कैसे आपके बैंक अकाउंट में डाका मार सकते हैं अगर आप ये जान लेंगे तो इनसे बचने के उपाय अपनाएंगे तो आपका पैसा सुरक्षित रहेगा. जानें आगे की स्लाइड्स में जरूरी सावधानियां-
मतलब साफ है कैशलेस शॉपिंग करते समय सावधानी बेहद जरूरी है. नोटबंदी के बाद देश के तमाम बड़े शहरों में पेटीएम और रूपे जैसे मोबाइल वॉलेट से पेमेंट का चलन बढ़ा है. यहां तक कि छोटे शहरों में कई दुकानदारों ने नगदी संकट से बचने के लिए स्वाइप मशीनें लगा ली हैं. लेकिन इनका इस्तेमाल करते समय ये सावधानियां रखनी बेहद जरूरी हैं वर्ना आ जाएगा आपकी मेहनत की कमाई पर संकट!
अगर आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो कम से कम 2 क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करें जिससे एक ही क्रेडिट कार्ड की क्रेडिट लिमिट बहुत ज्यादा ना हो. अगर 2 कार्ड यूज करेंगे तो थोड़ी-थोड़ी लिमिट उन दोनों में बंट जाएगी. ऐसे में 1 कार्ड की डिटेल्स चोरी होने की सूरत में आपके सारे पैसे पर ज्यादा खतरा नहीं आएगा.
अपना नेट बैंकिंग पासवर्ड, डेबिट-क्रेडिट आईडी पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहें. जल्दी-जल्दी पासवर्ड बदलने से आपके डेबिट-क्रेडिट कार्ड, ऑनलाइन या नेट बैंकिंग के पासवर्ड के हैक होने का खतरा काफी कम हो जाता है. क्योंकि लंबे समय तक एक ही पासवर्ड या कार्ड पिन यूज करते रहते हैं तो वो ब्राउजर हिस्ट्री में आ सकता है. इसके अलावा पासवर्ड बेहद आसान भी नहीं होना चाहिए. डेबिट-क्रेडिट कार्ड पिन में आप अपने जन्मदिन या ऐसी तारीखों का ना रखें जो ज्यादातर सब जानते हों. इनका अंदाजा लगाना आसान होता है.
एटीएम और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल अपने तक सीमित रखें, उसकी गुप्त जानकारी किसी को ना बताएं. कार्ड किसी के हाथ में न दें, खुद ही स्वाइप करें. अपना पासवर्ड छुपाकर डालें जिससे कोई देख ना ले. अगर किसी ने आपके कार्ड का नंबर, सीवीवी याद कर लिया और पासवर्ड भी जान लिया तो आसानी से आपके खाते को खाली किया जा सकता है.
अगर आपके पास बैंक, आरबीआई, इरडा या किसी फाइनेंशियल संस्था के नाम पर फोन आता है और किसी भी वजह से आपके डेबिट-क्रेडिट कार्ड की डीटेल्स पूछी जाती हैं तो देने से साफ मना कर दें. बैंक समय-समय पर अपने ग्राहकों को बताता रहता है कि उसकी तरफ से कार्ड की डीटेल्स पूछी जाने के लिए कोई अधिकार नहीं हैं.
ऐसे एटीएम से पैसा निकालने से बचें जहां ज्यादा लोग ना जाते हों और जहां आपको कुछ खतरा दिखे. वहीं जिस एटीएम में ठीक मशीन के ऊपर कैमरा लगा हो वहां से भी पैसा निकालने से बचें. कई बार कैमरे में आपका पिन की डीटेल्स देखी जा सकती है.
होटल, शॉपिंग मॉल और दुकानों में कार्ड से भुगतान अपनी आंखों के सामने करें. अच्छी तरह देख लें कि स्वाइप मशीन में स्वाइप करने वाली जगह पर डेटा चोरी के लिए कोई स्कीमर तक नहीं लगा है. मैग्नेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड का इस्तेमाल कम करें, चिप वाले कार्ड ज्यादा सुरक्षित हैं.
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