पीएफ इनकम टैक्स कटौती के दायरे में नहीं आता. आयकर की धारा 80सी के तहत यह इनकम टैक्स फ्री है लेकिन इसकी सीमा डेढ़ लाख रुपये है. पीएफ निकालने पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगता लेकिन कुछ मामलों इस पर टैक्स लगता है.
इस तरह काटा जाता है टैक्स
अगर पांच साल तक लगातार नौकरी के बाद पीएफ अकाउंट से पैसा निकालते हैं तो कोई टैक्स नहीं लगता. अगर नौकरी बदल कर पुराने पीएफ को जारी रखते हैं तब भी कोई टैक्स नहीं लगता है. लेकिन पांच साल की नौकरी पूरा किए बगैर पीएफ से 50 हजार से कम रकम निकालते हैं तो टीडीएस नहीं कटेगा. हालांकि कर्मचारी का वेतन टैक्स दायरे में हैं तो उसे रिटर्न भरते वक्त इसकी जानकारी देनी होगी.
अगर पांच साल की नौकरी पूरा किए बगैर पीएफ अकाउंट से 50 हजार रुपये से ज्यादा पैसा निकालते हैं तो पैन की जानकारी अपडेट होने पर दस फीसदी टीडीएस कट जाएगा. पैन की जानकारी अपडेटेड नहीं होने पर मैक्सिमम मार्जिनल टैक्स रेट पर टीडीएस कटेगा. वित्त वर्ष 2019-20 को लिए पीएफ पर 8.5 फीसदी ब्याज निर्धारित किया गया है. पीएफ में कर्मचारी का योगदान बेसिक सैलरी का 10 और 12 फीसदी होता है. अगर महिला कर्मचारी की पहली नौकरी है तो तीन सालों तक उनका योगदान केवल 8 फीसदी होगा. बाद में यह 10-12 फीसदी हो जाता है. 10-12 फीसदी योगदान कंपनी की तरफ से भी किया जाता है. नियोक्ता की तरफ से 12 फीसदी का योगदान अलग-अलग हिस्सों में बंट जाता है.