जानें क्यों, हेल्थ इंश्योरेंस होने के बाद भी आपको चुकाना पड़ सकता है इलाज का खर्च
हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त कुछ बातों पर अगर ध्यान नहीं दिया जाए तो आगे चलकर बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है.
हेल्थ इंश्योरेंस लेने का चलन बढ़ता ही जा रहा है. इसे लेते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है नहीं तो खासा नुकसान उठाना पढ़ सकता है. आप को जानकार हैरानी हो सकती है कि पांच परिस्थितियां ऐसी हैं जब हेल्थ इंश्योरेंस होने पर भी इलाज का पैसा देना पड़ सकता है.
वेटिंग पीरियड: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते वक्त वेटिंग पीरियड के बारे में जानकारी ले लेना बहुत जरूरी है. उस कंपनी का हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए जिसका वेटिंग पीरियड कम हो. दरअसल जब आप हेल्थ इंश्योरेंस करवाते हैं तो पहले दिन से ही इंश्योरेंस कंपनी आपको कवर नहीं देती. आपको क्लेम करने के लिए थोड़े दिन रुकना होता है. ये अवधि 15 से 90 दिनों तक की हो सकती है. इसे ही वेटिंग पीरियड कहते हैं.
अगर पहले से कोई बीमारी है: अगर आपको पहले से कोई बीमारी है तो ध्यान रखें आपको इलाज का खर्च उठाना पड़ सकता है. दरअसल सभी इंश्योरेंस कंपनियां पहले से हुई बीमारियों को कवर तो देती हैं लेकिन एक तय अवधि के बाद. ज्यादातर कंपनियां पुरानी बीमारियों को 48 महीने के बाद कवर करती हैं जबकि कुछ 36 महीने बाद. आप जब पॉलिसी ले रहे होते हैं तो आपको अगर पहले से कोई बीमारी है तो इसकी जानकारी आपको देनी होती है.
को-पे से बचें: को-पे की सुविधा से बचना चाहिए. को-पे सुविधा में क्लेम की स्थिति में पॉलिसी धारक खर्चों का कुछ फीसदी खुद से भुगतान करता है. अक्सर लोग प्रीमियम को कम कराने के लालच कोपे ले लेते हैं लेकिन इसे नहीं लेना चाहिए.
नहीं लें लिमिट या सब लिमिट प्लान: अस्पताल में प्राइवेट रूम के किराए जैसी लिमिट से बचना चाहिए. इंश्योरेंस कंपनी द्वारा खर्च के लिए लिमिट या सब लिमिट तय करना आपके लिए ठीक नहीं है. सब-लिमिट का मतलब री-इंबर्समेंट की सीमा तय करने से है. अगर आप अस्पताल में भर्ती हुए तो कमरे के किराए पर बीमित राशि के एक फीसदी तक की सीमा हो सकती है. इस तरह पॉलिसी की बीमित राशि भले कितनी हो, सीमा से अधिक खर्च करने पर अस्पताल के बिल जेब से चुकाने पड़ सकते हैं.
24 घंटे भर्ती रहना जरूरी: रेग्युलर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में आपको कवर तभी मिलेगा जब आप अस्पताल में कम से कम 24 घंटे भर्ती रहें. अगर आप 24 घंटों से पहले ही डिस्चार्ज कर दिए जाते हैं तो अस्पताल का खर्च आपको अपनी जेब से देना होगा.
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