अमेरिका में महंगाई दर बढ़कर 8.3 फीसदी पर जा पहुंची है जबकि अनुमान 8.1 फीसदी के आने का था. इसके चलते बाजार में घबराहट दिखी और डाओ जोंस में 850 अंकों की गिरावट आ गई. लेकिन मेरा मानना है कि ये 8.9 फीसदी के उच्चतम स्तर से नीचे है. इसका अर्थ हुआ कि हालात काबू में है. अमेरिकी बाजार के ट्रेडर्स का रिएक्शन स्वाभाविक है क्योंकि बाजार में बिकवाली और शार्ट करने का उन्हें बहाना चाहिए. लेकिन अमेरिकी बाजारों में भारी गिरावट के बावजूद निफ्टी 18,100 को हासिल करने में कामयाब रहा. हालांकि शुक्रवार को डाओ के चलते ये गिरकर 17,525 पर आ गया.
भारत में खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी देखी गई लेकिन बाजार में उसका कोई असर नहीं दिखा. पर शुक्रवार को निफ्टी में 350 अंकों की बड़ी गिरावट आ गई. जब भी ट्रेडर्स को लगता है कि वो बाजार को बेहतर समझने लगे हैं, बाजार उन्हें जबरदस्त झटका दे जाता है. दो दिन पहले ट्रेडर्स निफ्टी के 21000 से 23000 तक जाने की बात कर रहे थे. अब 17,700 के नीचे 16,000 तक जाने की बात कर रहे हैं. लेकिन मेरा मानना है निफ्टी में गिरावट पूरा हो चुका है.
हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि विदेशी पोर्टफोलियो इंवेस्टर्स ने बाजार में 21 जुलाई से लेकर 15 सितंबर के बीच 89000 करोड़ रुपये निवेश किए हैं. और ये आंकड़ा हर रोज बढ़ता ही जा रहा है. इसलिए मेरा मानना है कि बाजार में आने वाले हफ्तों में और तेजी की क्षमता बाकी है. मुझे यकिन है कि निफ्टी अपने उच्चतम स्तर के लेवल को पार करेगा. दुनिया भर में महंगाई और मंदी भारत के लिए नकारात्मक नहीं बल्कि फायदेमंद रह सकता है क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता मुल्क है. वैल्यूएशन, अर्निंग, मानसून, रिफॉर्म और आधारभूत ढांचे या फिर रेवेन्यू कलेक्शन को देंखे कहीं से कोई बुरी खबर नहीं आ रही है. ऐसे हालात में 7 से 8 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट बहुत ज्यादा है.
हम भूल जाते हैं कि चीन और यूरोप पर संकट से भारत को फायदा होने वाला है. चीन में ग्रोथ रेट घटती है और यूरोप में मंदी आई तो इन देशों को अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए खर्च बढ़ाना होगा. भारत इससे बेअसर रहने वाला है. रूस और यूक्रेन युद्ध का सवाल है ये खाड़ी के युद्ध के समान हो चुका है. चीन ताइवान के साथ युद्ध करने की जोखिम नहीं ले सकता है.
निफ्टी 18,100 को पार करने में सफल रहा है. ये अच्छा है कि हम 17600-17500 पर शार्ट देख रहे हैं. ये निफ्टी को सपोर्ट देगा. अगले 5 दिनों में 3 दिन बाजार में ट्रेंडिंग के लिहाज से महत्वपूर्ण रहने वाले हैं. हमें फेडरल रिजर्व का एक्शन देखने को मिलेगा. लेकिन मैं बाजार पर बुलिश हूं. निफ्टी पर अगले 4 से 5 सालों में मेरा टारगेट 37,800 का है. मेटल की मांग बढ़ने वाली है. कैपिसिटी का विस्तार होगा. तेल के दाम बढ़ेंगे इसलिए मैं बुलिश हूं. बुल मार्केट का सबसे बड़ा सिद्धान्त है गिरावट पर खरीदारी करें. यही मैं 2008 से करता आया हूं. जिन लोगों ने गिरावट पर खरीदारी की है उन्होंने पैसे बनाये हैं. मेरी सलाह होगी 2026 तक इसी अप्रोच के साथ चलें.
मेरी सलाह होगी जिस स्टॉक में आप निवेश करना चाहते हैं पहले उसे समझें. जब भरोसा हो तो खरीदारी करें. जब कोई शेयर 20 फीसदी गिर जाये तो बिना झिझक उसे खरीदें. ये मत सोचे कि कौन बेच रहा है. अब तक CNI 90 फीसदी मामलों में सही साबित हुआ है जिसमें मल्टीबैगर्स से लेकर सुपर बैगर्स बने हैं. हमारी भविष्यवाणी टाटा मोटर्स, टाटा पावर, इंडसइंड बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को लेकर सही साबित हुई है.
मैं Vipul Organics Ltd को लेकर बात करना चाहता हूं. जो ट्रेडिंग कंपनी से स्पेशयालिटी केमिकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बन गई है. कंपनी ने 4 सालों में 20 टन से 300 टन तक विस्तार किया है. कंपनी का लक्ष्य 1000 से 1200 टन का है जो बड़ा लक्ष्य है. कंपनी के पास बेहतरीन टीम है. उनके पास पिडीलाइट, दूसरी मल्टीनेशनल कंपनी से आये लोग हैं. कंपनी का कैश फ्लो बेहतर है ऐसे में आप कमिकल सेक्टर में मल्टीबैगर की तलाश कर रहे हैं तो ये सही निवेश साबित हो सकता है. मेरी भविष्यवाणियां सही साबित हुई हैं. बहरहाल मेरा मानना है कि शुक्रवार की गिरावट बैलेसिंग का कार्य कर रहा था इसलिए बाजार की वापसी तय है.
किशोर पी ओस्तवाल
सीएमडी
सीएमआई रिसर्च लिमिटेड (ये लेखक के निजी विचार हैं)