निवेशकों को म्यूचुअल फंडों और घरेलू कंपनियों से होने वाली डिविडेंड इनकम पर टैक्स देना पड़ता है. अलग-अलग स्लैब के हिसाब से इस पर टैक्स लगता है. टैक्स की वसूली टीडीएस के तौर पर होती है. लिहाजा यह जानना जरूर है कि किन स्थितियों में डिविडेंड टैक्स लगेगा और कब नहीं.
देश में रहने वाले किसी निवेशक को अगर म्यूचुअल फंड और शेयरों से डिविडेंड के तौर पर पांच हजार रुपये तक की कमाई होती है तो कोई टैक्स नहीं कटेगा. लेकिन पांच हजार रुपये से ज्यादा के डिविडेंड इनकम पर दस फीसदी टीडीएस कटेगा. अगर निवेशक पैन कार्ड की सेल्फ-अटेस्टेड कॉपी के साथ फॉर्म 15 G या 15 H जमा करता है तो उसे टीडीएस नहीं देना होगा. इन दोनों के जरिये निवेशक यह घोषणा करता है कि उसकी आय कर योग्य सीमा से कम है. लिहाजा उसे टैक्स दायरे से बाहर रखा जाए. हालांकि 15 G या 15 H की वैलिडिटी एक साल की होती है.
पैन कॉपी देने पर कम लगेगा टैक्स
अगर निवेशक पैन कार्ड की कॉपी देता है तो 7.5 फीसदी की घटी दर से टीडीएस का भुगतान करना होगा. अगर निवेशक पैन कार्ड की कॉपी नहीं देता है तो 20 फीसदी की बढ़ी हुई दर से टीडीएस कटता है. भारतीय शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने वाले अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) को डिविडेंड पर 20 फीसदी टैक्स देना होगा. हालांकि, टैक्स का कैलकुलेशन उस देश के साथ भारत के समझौते (डीटीएए) पर निर्भर करेगा. यह इस बात से भी तय होगा कि निवेशक कौन से दस्तावेज जमा करता है.
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