Bina Modi: ललित मोदी (Lalit Modi) की मां बीना मोदी (Bina Modi) को गोडफ्रे फिलिप्स इंडिया (Godfrey Phillips) के बोर्ड से निकालने की कवायद शुरू हो चुकी है. अमेरिकी एडवाइजरी कंपनी ग्लास लेविस (Glass Lewis) ने कंपनी के शेयरहोल्डर्स से अपील की है कि वह एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) के दौरान बीना मोदी को चेयरपर्सन और एमडी बनाए जाने एक प्रस्ताव के खिलाफ वोट करें. गोडफ्रे फिलिप्स इंडिया की एजीएम 6 सितंबर को होने वाली है. अमेरिकी कंपनी की इस अपील को संकट में फंसी बीना मोदी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. 


समीर मोदी को वापस मिल सकती है बोर्ड में जगह 


इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्लास लेविस ने शेयरहोल्डर्स से अपील की है कि वह बीना मोदी के बेटे समीर मोदी (Samir Modi) को भी कंपनी के बोर्ड से निकालने के फैसले के खिलाफ वोट करें. बीना मोदी 79 साल की हो चुकी हैं, इसलिए उन्हें दोबारा से नियुक्त करने के लिए कम से कम 75 फीसदी शेयरहोल्डर्स की मंजूरी की जरूरत पड़ेगी. उन्हें हर साल कंपनी के नेट प्रॉफिट का 5 फीसदी कमीशन के तौर पर दिया जाता है. ग्लास लेविस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उनके पेमेंट को देखते हुए शेयरहोल्डर्स को उन्हें दोबारा चुनने से बचना चाहिए. 


मोदी फैमिली के पास कंपनी की 47 फीसदी हिस्सेदारी 


तंबाकू प्रोडक्ट बनाने वाली गोडफ्रे फिलिप्स इंडिया में अमेरिका की कंपनी फिलिप मॉरिस इंक (Phillip Morris) की 25 फीसदी हिस्सेदारी है. कंपनी में मोदी फैमिली (Modi Family) लगभग 47 फीसदी का मालिकाना हक रखती है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि समीर मोदी को कंपनी से बाहर करने का कोई ठोस कारण नहीं था. ग्लास लुईस के अनुसार, प्रमोटर ग्रुप में विवाद चल रहे हैं. इन झगड़ों में बीना मोदी और उनके बच्चे शामिल हैं. बीना मोदी पर सवाल खड़े करने वालों को कंपनी के बोर्ड से निकाला गया है. समीर मोदी को हटाने के लिए पर्याप्त कारण नहीं दिए गए थे. इससे उनके काम करने के तरीकों पर चिंता पैदा हो रही है. 


समीर मोदी ने बोर्ड मेंबर्स पर हमले के लगाए हैं आरोप 


समीर मोदी ने दिल्ली की एक अदालत में आरोप लगाया है कि बोर्ड के कुछ सदस्यों ने 30 मई को बोर्ड बैठक में उन पर हमला करने की साजिश रची थी. उन डायरेक्टर्स ने समीर मोदी के खिलाफ मानहानि के आरोप दायर किए हैं. ग्लास लुईस ने कहा कि समीर मोदी पर बोर्ड ने गलत व्यवहार के आरोप लगाए हैं. हालांकि, इन आरोपों के समर्थन में ठोस सबूत नहीं दिए हैं. ऐसे में शेयरहोल्डर्स को उनकी दोबारा से नियुक्ति पर भी विचार करना चाहिए.


ये भी पढ़ें 


Vande Bharat: इसी साल से आप वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का ले सकेंगे आनंद, रेलवे से जल्द मिलेगा तोहफा