(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
IT Hardware: विदेशी लैपटॉप, टैब और कंप्यूटर की चाहत मुश्किल से होगी पूरी, गिरने वाली है सरकार की गाज
Manufacturing in India: भारत सरकार चाहती है कि आईटी हार्डवेयर की ज्यादा से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग देश में ही की जाए. इसके लिए सख्त कदम जनवरी में उठाए जा सकते हैं.
Manufacturing in India: देश में आईटी हार्डवेयर मार्केट अधिकतर विदेशों से आने वाले लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर से भरा हुआ है. केंद्र सरकार इस स्थिति में जल्द बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है. अगर सरकार की योजना सफल रहती है तो करीब 10 अरब डॉलर के इस मार्केट में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. सरकार की कोशिश है कि आईटी हार्डवेयर का इंपोर्ट कम करके इनकी घरेलू मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाई जाए. यह कड़ा कदम जनवरी, 2025 में लिया जा सकता है.
इंपोर्ट की सीमा तय करने पर चल रहा गंभीरता से विचार
सूत्रों के हवाले से बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि सरकार चाहती है कि लैपटॉप, टैबलेट और पर्सनल कंप्यूटर जैसी चीजों की मैन्युफैक्चरिंग देश में ही की जाए. इसके लिए एप्पल (Apple) जैसी कंपनियों पर दबाव बनाया जाएगा. साथ ही इंपोर्ट की सीमा भी तय कर दी जाएगी. ऐसा ही प्लान पिछले साल लागू किया जाने वाला था. मगर, कंपनियों के भारी विरोध और अमेरिका द्वारा बनाए गए दबाव के चलते इसे टाल दिया गया. इसके बाद से भारत सरकार देश में हो रहे आईटी हार्डवेयर इंपोर्ट पर एक सिस्टम के तहत कड़ी नजर बनाए हुए है. यह सिस्टम इस साल के अंत में खत्म हो रहा है. ऐसे में सरकार ने कंपनियों से कहा है कि वो नए सिरे से मंजूरी लें.
नए इंपोर्ट ऑथोराइजेशन सिस्टम पर काम हुआ शुरू
सूत्रों ने दावा किया कि सरकार को अब लगने लगा है कि आईटी हार्डवेयर कंपनियों को पर्याप्त समय दिया जा चुका है. अगले हफ्ते से इस संबंध में सभी पक्षों से वार्ता भी शुरू की जा सकती है. ऐसे में कंपनियों को कुछ और समय मिल जाएगा. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय (MeitY) ने नए इंपोर्ट ऑथोराइजेशन सिस्टम पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके तहत ही कंपनियों को इंपोर्ट की मंजूरी दी जाएगी. अभी कितनी भी संख्या में लैपटॉप देश में लाए जा सकते हैं.
एचपी, डेल, लेनेवो और सैमसंग जैसी विदेशी कंपनियों का जलवा
इस इंडस्ट्री में फिलहाल एप्पल के अलावा एचपी (HP), डेल (Dell), लेनेवो (Lenovo) और सैमसंग (Samsung) का दबदबा है. भारत की दो तिहाई डिमांड फिलहाल इंपोर्ट के जरिए ही पूरी की जाती है. इसमें से बड़ी संख्या में डिवाइस चीन से आते हैं. सरकार इनका प्रोडक्शन देश में ही करवाना चाहती है. साथ ही न्यूनतम क्वालिटी स्टैंडर्ड भी तय किए जाने की तैयारी है. इसके तहत लो क्वालिटी डिवाइस देश में नहीं आ पाएंगे. अगर ऐसा फैसला होता है तो डिक्सॉन टेक्नोलॉजीस (Dixon Technologies) जैसी कंपनियों को बहुत फायदा होगा.
ये भी पढ़ें
Byju’s Update: बायजूस का बढ़ा संकट! कंपनी के फाउंडर रवींद्रन बोले, जीरो हो गया कंपनी का वैल्यू