Layoffs in Startup: वैश्विक मंदी का असर भारतीय स्टार्टअप (Indian Startup Layoffs) पर भी दिख रहा है. पिछले कुछ महीनों में कई स्टार्टअप कंपनियों ने बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी की है. अब इस लिस्ट में ऐड टेक स्टार्टअप टीचमिंट (Teachmint Layoffs) का नाम भी जुड़ गया है. कंपनी ने अपने दूसरे चरण की छंटनी में करीब 70 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने का फैसला किया है. मनीकंट्रोल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने केवल 6 महीने के भीतर दूसरी बार छंटनी का फैसला किया है.


Teachmint क्यों कर रहा है छंटनी?


अमेरिका और यूरोप में मंदी के कारण मार्केट में फंड की कमी हो गई है. ऐसे में कई स्टार्टअप कंपनियों को फंड की कमी से जूझना पड़ रहा है. ऐसे में कंपनियां पैसे की बचत के लिए बड़े पैमाने पर इंप्लाइज को बाहर का रास्ता दिखा रही हैं.  Teachmint के को-फाउंडर और सीईओ मिहिर गुप्ता ने छंटनी के बारे में कर्मचारियों को जानकारी देते हुए कहा कि कंपनी को इस मुश्किल वक्त में कठिन फैसला लेना पड़ रहा है. फंड की बचत के लिए कंपनी ने कर्मचारियों की छंटनी का निर्णय लिया है और इसका उनके परफॉर्मेंस से कोई लेना देना नहीं है.


किन लोगों पर पड़ेगा असर


IANS की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी जिन डिपार्टमेंट में छंटनी करने वाली है उसमें टेक, एचआर और सपोर्ट टीम शामिल है. बेंगलुरू स्थित स्टार्टअप कंपनी ने 4 मई 2023 को ही अपने कर्मचारियों को एक मीटिंग में इस छंटनी की जानकारी दे दी थी. कंपनी के मुताबिक प्रभावित कर्मचारियों को 3 महीने के सैलरी और 6 महीने का हेल्थ इंश्योरेंस का लाभ मिलेगा. इसके साथ छंटनी का शिकार हुए इंप्लाइज कंपनी के शेयर होल्डर भी बने रहेंगे. गौरतलब है कि Teachmint एक एडटेक स्टार्टअप है जो मैनेजमेंट संबंधित शिक्षा क्षेत्र में काम करता है. Teachmint  के अलावा बायजूस, अनएकेडमी और वेदांतु जैसे कई ऑनलाइन कंपनियों ने बड़े पैमाने पर छंटनी की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक देशभर के 100 से अधिक स्टार्टअप ने 25,000 से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी की है.


मीशो ने 251 कर्मचारियों की छंटनी का बनाया प्लान


यूनिकॉर्न स्टार्टअप कंपनी मीशो (Meesho) भी छंटनी का ऐलान किया है. कंपनी ने मंदी और फंड्स की कमी को देखते हुए कुल 15 फीसदी यानी 251 कर्मचारियों की छंटनी का फैसला किया है. मीशो ने शुक्रवार को छंटनी का ऐलान करते हुए कहा कि टेक इंडस्ट्री में हो रहे बदलाव के बीच कंपनी ने खुद को सस्टेनेबल बनाने के लिए यह फैसला लिया है. 


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