क्या आप जानते हैं कि आप होम लोन के जरिए इनकम टैक्स बचा सकते हैं. इस साल के बजट में आम आयकर दाता के लिए इनकम टैक्स एक्ट में दो तरह के स्लैब का प्रावधान किया है. पुराने स्लैब के तहत करदाता कई तरह के टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं. इनमें होम लोन सबसे बढ़िया विकल्प है. होम लोन अगर एकल के बदले साझा लिया जाता है तो आप अपनी अपनी आमदनी में से सात लाख रुपये तक पर इनकम टैक्स बचा सकते हैं.


कोई व्यक्ति एकल होम लोन लेता है तो उसे अधिकतम साढ़े तीन लाख रुपये पर ही इनकम टैक्स में छूट का फायदा मिलता है. पति और पत्नी अगर मिल कर होम लोन लेते हैं और उस पर छूट का दावा करते हैं तो दोगुनी छूट तक मिल सकती है.


क्या हैं नियम




  • इनकम टैक्स एक्ट की धारा 24 (B) के तहत होम लोन के ब्याज पर व्यक्तिगत करदाता 2 लाख रुपये तक और धारा 80(C) के तहत मूल धन की अदाएगी पर 1.5 लाख रुपए टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं.

  • कोई दंपत्ति साझा होम लोन (Joint Home Loan) लेते हैं और अपने आईटीआर (ITR) में इसका दावा अलग-अलग कर सकते हैं और कुल टैक्स छूट 7 लाख रुपये हो जाएगी.


साझ लोन में इन शर्तों का करना होगा पालन 


हालांकि साझा होम लोन पर इनकम टैक्स में अधिकतम सात लाख रुपये पर तक की टैक्स छूट लेने के लिए कुछ शर्तों का पालन करना होता है.

  • आयकर की धारा (26) के तहत साझा होम लोन पर टैक्स छूट के लिए पति-पत्नी का मकान पर मालिकाना हक जरूरी है. इसका अर्थ है कि प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में पति और पत्नी, दोनों का नाम होना चाहिए.

  • होम लोन में भी दोनों की हिस्सेदारी होनी चाहिए. होम लोन की योग्यता बढ़ाने के लिए अगर सिर्फ साझा कर्जदार बनाया है, तो छूट का दावा सिर्फ वही व्यक्ति कर सकेगा जो प्रॉपर्टी का मालिक होगा.

  • ऐसा भी हो सकता है प्रॉपर्टी का मालिकाना हक में पति पत्नी दोनों का नाम है. दोनों का नाम होम लोन में भी है लेकिन, EMI सिर्फ एक ही व्यक्ति दे रहा है. ऐसी स्थिति में टैक्स छूट का दावा भी ईएमआई देने वाला ही करेगा. इनकम टैक्स विभाग उन्हीं को टैक्स छूट देगा, जो ईएमआई भरेंगे.


EMI जो ज्यादा देगा उसे छूट भी ज्यादा मिलेगी
एक कपल ने शादी के बाद मकान खरीदा. दोनों के नाम पर ही बैंक से लोन भी मिला.  टैक्स छूट का बंटवारा मकान खरीदते समय किए डाउन पेमेंट और लोन की EMI  में हिस्सेदारी के आधार पर तय हुआ.  पति-पत्नी दोनों डाउन पेमेंट और EMI में बराबर भागीदारी हैं तो टैक्स छूट का लाभ भी बराबर मिलेगा. अगर ऐसा नहीं है तो जो ज्यादा EMI देगा उसे छूट भी ज्यादा मिलेगी. छूट 3.5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो सकती है. बैंक लोन देते समय आमतौर पर साझा आवेदक से हिस्सेदारी को लेकर एमओयू कराते हैं. एक बार कर्ज हिस्सेदारी तय हो जाए तो उसे बदला नहीं जा सकता है.

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