Leather exports: वैश्विक बाजारों में लेदर से बनाए जाने वाले प्रोडक्ट्स की मांग लगातार बढ़ रही है इसलिए इसका निर्यात भी लगातार बढ़ता जा रहा है. चालू वित्त वर्ष में लेदर और इससे बने फुटवियर का निर्यात 12 फीसदी बढ़कर 5.3 अरब डॉलर हो जाने की उम्मीद है. काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट्स (CLE) के चेयरमैन राजेंद्र कुमार जालान ने कहा कि अमेरिका सहित दुनिया भर की कई कंपनियां भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बनाने का सोच रही हैं. 


अमेरिका और यूके में लेदर की खूब डिमांड


द मिंट से हुई बातचीत में उन्होंने कहा, 2023-24 में हमने 4.69 बिलियन अमरीकी डॉलर तक का एक्सपोर्ट किया. वहीं इस साल हम 5.3 बिलियन अमरीकी डॉलर तक के एक्सपोर्ट की उम्मीद जता रहे हैं. अमेरिका और यूके से लेदर की भारी डिमांड आ रही है. कई बड़े ऑर्डर भी मिल रहे हैं. भारत के लेदर एक्सपोटर्स अफ्रीका में भी व्यवसाय के मौके तलाश रहे हैं. यह एक लेबर बेस्ड इंडस्ट्री है, जो 42 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है. इस सेक्टर का टोटल टर्नओवर करीब 19 अरब डॉलर है, इसमें 5 अरब डॉलर का निर्यात शामिल है.


भारत में बढ़ता जा रहा लेदर का कारोबार


जालान ने आगे कहा, साल 2030 तक इसका कुल कारोबार 47 बिलियन अमरीकी डॉलर तक हो जाने की क्षमता रखता है, जिसमें 13.7 बिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात और बाकी घरेलू उत्पादन शामिल है. उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईडब्ल्यूजी) इस सेक्टर में भी लागू किया जाए इससे 47 बिलियन अमरीकी डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी और साथ ही लगभग 7-8 लाख अतिरिक्त लोगों को भी रोजगार मिलेगा. 


लेदर सेक्टर की बजट से उम्मीद


लेदर सेक्टर से बजट की क्या उम्मीदें हैं इस बारे में पूछे जाने पर जालान ने कहा, काउंसिल ने सरकार से गीले नीले और क्रस्ट चमड़े पर से 20 फीसदी निर्यात शुल्क को हटाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय से तैयार चमड़े पर आयात शुल्क हटाने का भी अनुरोध किया गया है. इस सेक्टर को लेकर कानपुर के ग्रोमोर इंटरनेशनल लिमिटेड के एमडी यादवेंद्र सिंह सचान ने कहा कि अमेरिका और यूरोप के देशों में भारत के लेदर की मांग बढ़ रही है इसलिए निर्यात बढ़ी है. अगर घरेलू उद्योग और भी बेहतरी से काम करें, तो शिपमेंट को और बढ़ावा मिलेगा. 


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