Legal Verification for Home Loan: आप जब भी घर या प्रॉपर्टी (Home Property) खरीदते हैं तो कर्ज (Loan) की जरूरत पड़ती ही है. ऐसे में आपको किसी वित्तीय सस्थान या बैंक (Bank) के पास लोन लेने के लिए जाना पड़ता है. बैंक आपकी प्रॉपर्टी का कानूनी सत्यापन (Legal Verification) कराता है. इससे बैंक अपने रिकॉर्ड में उस प्रॉपर्टी पर लोन के आकलन को समझता है. साथ ही इस लीगल वेरिफिकेशन से बैंक और लोन लेने वाले व्यक्ति दोनों को कई तरह के फायदे होते हैं. हम इस खबर में आपको कई तरह वेरिफिकेशन के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि आपको प्रॉपर्टी के लिए लोन उपलब्ध कराने में मदद करते हैं.
क्या है लीगल वेरीफिकेशन
लीगल वेरीफिकेशन एक तरह की प्रोसेस है, जिसमें होम लोन के लिए उपलब्ध कराए गए सभी जरूरी डाक्यूमेंट्स सही और गलत की पहचान होती है. इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि कर्ज लेने वाले व्यक्ति से कोई ऐसी कानूनी अड़चन नहीं है, जो लोन को खतरे में डाले. साथ ही यह सत्यापित हो जाता है कि प्रापर्टी पर किसी दूसरे का कब्ज़ा नहीं है. प्रापर्टी लोन लेने वाले शख्स के अधिकार में प्रापर्टी गिरवी या किसी और शख्स के नाम से नहीं है.
क्या है टेक्निकल वेरीफिकेशन
लीगल के बाद टेक्निकल वेरीफिकेशन (Technical Verification) कराया जाता है. इसमें होम लोन जारी करने से पहले प्रापर्टी की फिजिकल कंडीशन देखी जाती है. एक्सपर्ट की एक टीम प्रीपर्टी लोकेशन का दौरा और उसकी मूल्यांकन किया जाता है. इसमें कर्ज लेने वाले व्यक्ति द्वारा अप्लाई किए लोन अमाउंट और प्रापर्टी वैल्यू का मूल्यांकन किया जाता है.
क्यों है जरूरी
होम लोन (Home Loan) जारी करने से पहले वित्तीय संस्थान या बैंक (Bank) की तरफ से लीगल वेरीफिकेशन कराया जाता हैं. इसके लिए कई बातें है जो मुख्य हैं. इसमें प्रापर्टी की सही वैल्यू और सेफ्टी, लोन लेने वाले शख्स के लिए सुविधाजनक, जोखिम का पता करना, प्रापर्टी का सही वैल्यू पाता चल जाता है. एक नजर में समझें क्यों है जरूरी.
- लीगल वेरीफिकेशन से पता चलता है कि प्रापर्टी कानून विवाद से बिलकुल फ्री है. जमीन को लेकर किसी प्रकार की कानूनी अड़चन नहीं है. इससे बचने के लिए लीगल वेरीफिकेशन बेहद जरूरी है.
- प्रॉपर्टी की सही वैल्यू का पता लगाने के बाद लोन रिस्क फ्री (Risk Free Loan) जारी किया जाता है. टेक्नीकल वेरीफिकेशन कर्ज लेने वाले शख्स को उस लोन अमाउंट को हासिल करने में मदद करता है जिसके वे वास्तव में हकदार हैं.
- कानूनी और तकनीकी सत्यापन के बाद बैंक प्रोजेक्ट को तैयार करने में बिल्डर्स का सहयोग करते हैं. ऐसी स्थिति लोन लेने वाले व्यक्ति को काफी सुविधा मिलती है. इससे कानूनी और तकनीकी सत्यापन प्रक्रिया में भाग नहीं लेना पड़ता है.
- अगर कानूनी सत्यापन प्रक्रिया के दौरान किसी प्रकार के जोखिम का संकेत मिलता है, तो लोन जारी करने की संभावना कम हो जाती है. उधार देने वाली संस्थान को लोन डिफॉल्ट होने का डर रहता है.
- लोन अमाउंट लगभग प्रॉपर्टी वैल्यू के बराबर है. सत्यापन प्रक्रिया से संपत्ति का एक ठोस और संपूर्ण निर्णय दोनों पक्षों को उपलब्ध कराया जाता है. साथ ही प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू के बराबर कीमत मिल रही है.
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