आम आदमी को और परेशान करेगी महंगाई! मानसून में कम बारिश से बढ़ सकते हैं दलहन और तिलहन के दाम
Pulses and Oilseed Prices: अगस्त में हुई कम बारिश आने वाले समय में परेशानी का कारण बन सकती है. इसका असर दलहन और तिलहन की कीमत पर दिख सकता है.
Pulses and Oilseed Prices Hike: अगस्त में कमजोर मानसून आने वाले वक्त में मुश्किल का कारण बन सकती है. मौसम विभाग (IMD) के आकलन के अनुसार इस साल अगस्त में पिछले 8 सालों में सबसे कम बारिश दर्ज की गई है. ध्यान देने वाली बात ये है कि कमजोर मानसून का सिलसिला सितंबर में भी जारी रह सकता है. इसके पीछे El Nino फैक्टर को जिम्मेदार बताया जा रहा है. ऐसे में कम हुई बारिश से दलहन और तिलहन के दाम में इजाफा हो (Pulses and Oilseed Prices Hike) सकता है. हालांकि देश के ज्यादातर हिस्सों में खरीफ की फसल की बुआई का काम लगभग पूरा हो चुका है मगर कमजोर मानसून के कारण फसल की पैदावार पर असर पड़ने की संभावना है.
ज्यादातर हिस्सों में कम हुई बारिश
फाइनेंशियल टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक दलहन और तिलहन की बुआई के बाद अब यह फसल फूल आने के चरण में है. ऐसे में इन्हें ज्यादा से ज्यादा पानी की आवश्यकता है. ऐसे में कमजोर मानसून इस फसलों की पैदावार पर बहुत बुरा असर डाल सकता है. मौसम विभाग के मुताबिक सोमवार तक भारत में मानसून का लॉग पीरियड एवरेज 92 फीसदी के आसपास रहा है. केवल देश के उत्तर पश्चिम भाग में ही पिछले साल के मुकाबले 6 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है. वहीं मध्य हिस्से में तय मानक से 7 फीसदी, पूर्व उत्तर भारत में 15 फीसदी और दक्षिण भाग में 17 फीसदी कम बारिश हुई है.
फाइनेंशियल टाइम्स से बात करते हुए मौसम विभाग के सीनियर अधिकारी ने कहा कि ऐसे में पूरे देश में अगस्त के महीने में पिछले सालों के मुकाबले 35 फीसदी कम बारिश हुई है. ऐसे में अगर सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश भी होती है तो भी इतनी बड़ी कमी को पूरा करना मुश्किल हो सकता है.
कम बारिश से बढ़ सकते है दलहन और तिलहन के दाम!
गौरतलब है कि खरीफ सीजन में अगस्त और सितंबर की बारिश से पर फसलों की पैदावार निर्भर करती है. ऐसे में इन दो महीनों में हुई कम बारिश से देश में धान, गन्ना, दलहन और तिलहन की पैदावार पर असर पड़ सकता है. ध्यान देने वाली बात ये है कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत में खाद्यान्न उत्पादन में सालाना के आधार पर 5 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई थी और यह बढ़कर 330.5 मिलियन टन (MT) पर पहुंच गया था. वहीं इस साल का खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य 332 मिलियन टन तय किया गया है. ऐसे सामान्य से कम बारिश खाद्यान्न उत्पादन के लक्ष्य के लिए तगड़ा झटका हो सकता है. इसके साथ ही इसका असर दलहन और तिलहन की कीमत पर भी दिख सकता है.
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