LIC Bachat Plus Update: एलआईसी की बचत प्लस योजना एक एक नॉन लिंक्ड इंडीविजुअल, लाइफ एश्योरेंस सेविंग प्लान है. इस योजना में ऑनलाइन (Online) और ऑफलाइन (Offline) निवेश करने का विकल्प है.  साथ ही किसी वजह से यदि मैच्योरिटी की अवधि पूरी होने से पहले पॉलिसी होल्डर की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को बीमा राशि दी जाती है. वहीं अगर पॉलिसी होल्डर (Policy Holder) पॉलिसी मैच्योर होने की तारीख तक जीवित रहता है तो खुद उसे मैच्योरिटी अमाउंट का भुगतान किया जाता है.


पॉलिसी के तहत बेसिक सम एश्योर्ड 1 लाख रुपये है. हालांकि इसकी अधिकतक कोई सीमा नहीं है. प्रीमियम का भुगतान 5 साल की सीमित अवधि के लिए एकमुश्त सिंगल प्रीमियम (Single Premium) के तौर पर या फिर लिमिटेड प्रीमियम (Limited Premium) पेमेंट के तौर पर किया जा सकता है. अगर किस्तों में प्रीमियम भरना चाहते हैं तो इसे मासिक, तिमाही, छमाही या सालाना आधार पर भरा जा सकता है.


अगर आप बिना किसी एजेंट या मध्यस्थ से पॉलिसी ऑनलाइन खरीदते हैं तो छूट भी मिलती है. यह सिंगल प्रीमियम विकल्प के मामले में प्रीमियम का 2 पर्सेंट और लिमिटेड प्रीमियम विकल्प के मामले में प्रीमियम का 7 पर्सेंट रहेगा.


डेथ बेनिफिट पेमेंट के नियम


अगर पॉलिसी लेने के 5 वर्ष के भीतर ही पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाए और यदि जोखिम की शुरुआत की तारीख से पहले ऐसा हुआ तो ब्याज के बिना प्रीमियम रिफंड कर दिया जाएगा. इसमें टैक्स, एक्स्ट्रा चार्ज और राइडर प्रीमियम शामिल नहीं होगा. वहीं अगर जोखिम की शुरुआत की तारीख के बाद ऐसा हुआ तो मृत्यु पर तय सम एश्योर्ड का भुगतान किया जाएगा.


साथ ही अगर कोई लॉयल्टी एडिशन है तो वह भी दिया जाएगा. लिमिटेड प्रीमियम पेमेंट के तहत डेथ बेनिफिट, चुकाए जा चुके सभी प्रीमियम्स के 105 फीसदी से कम नहीं होगा.


​मैच्योरिटी पर ये होगा फायदा


अगर पॉलिसी खरीदने वाला, उसकी मैच्योरिटी तारीख तक जीवित रहता है तो उसे मैच्योरिटी रकम का भुगतान किया जाएगा. साथ ही अगर कोई लॉयल्टी अतिरिक्त है तो वह भी दी जाएगी. मैच्योरिटी रकम, बेसिक सम एश्योर्ड के बराबर होगी. पॉलिसीधारक चाहे तो मैच्योरिटी फायदा एकमुश्त ले सकता है या फिर चाहे तो इसे 5 या 10 या 15 वर्ष की अवधि में किस्तों में पा सकता है. इसी तरह डेथ बेनिफिट भी 5 या 10 या 15 वर्ष की अवधि में किस्तों में या फिर एकमुश्त पाया जा सकता है.


जानिए क्या हैं सरेंडर के नियम?


सिंगल प्रीमियम पेमेंट वाले मामले में पॉलिसी को मैच्योरिटी से पहले कभी भी सरेंडर किया जा सकता है. अगर पहले पॉलिसी वर्ष में सरेंडर कर रहे हैं सिंगल प्रीमियम की 75 फीसदी रकम मिलेगी. इसके बाद सरेंडर करने पर सिंगल प्रीमियम की 90 फीसदी रकम मिल जाएगी. लिमिटेड प्रीमियम पेमेंट विकल्प में कम से कम 2 वर्ष के प्रीमियम का भुगतान किए जाने के बाद सरेंडर किया जा सकता है.


लोन का भी फायदा


एलआईसी बचत प्लस वाले इस प्लान में लोन की सुविधा भी है. सिंगल प्रीमियम विकल्प में लोन, पॉलिसी के 3 माह पूरे होने के बाद या फिर फ्री लुक पीरियड पूरा होने के बाद लिया जा सकता है. लिमिटेड प्रीमियम पेमेंट विकल्प में लोन कम से कम 2 वर्ष के प्रीमियम दिए जाने के बाद मिलेगा.


फ्री लुक पीरियड का मतलब होता है कि अगर पॉलिसीधारक, पॉलिसी से संतुष्ट नहीं है तो ऑफलाइन पॉलिसी के मामले में इसे लेने के 15 दिन के अंदर वापस कर सकता है. ऑनलाइन ली है तो ऐसा 30 दिन के भीतर किया जा सकता है.


​आत्महत्या से जुड़े नियम


LIC Bachat Plus पॉलिसी पर जोखिम शुरू होने के एक वर्ष के अंदर अगर पॉलिसीहोल्डर आत्महत्या कर लेता है तो पॉलिसी वॉइड हो जाएगी और सिंगल प्रीमियम का 90 फीसदी लौटा दिया जाएगा. लिमिटेड प्रीमियम पेमेंट के मामले में चुकाए जा चुके प्रीमियम का 80 फीसदी लौटाया जाएगा. याद रहे कि 8 वर्ष से कम उम्र वाले पॉलिसीहोल्डर के मामले में सुसाइड क्लॉज लागू नहीं है.


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