एलआईसी के विनिवेश की तैयारी शुरू हो चुकी है. सरकार के लिए अक्सर संकटमोचक का काम करने वाली एलआईसी अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए आईपीओ लाएगी. सरकार ने इस साल 2.10 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा है. अगर एलआईसी की हिस्सेदारी बेचने के लिए आईपीओ लाया जाता है तो इससे सरकार को अच्छी खासी रकम हासिल हो सकती है. सरकार चालू वित्त वर्ष की मार्च तिमाही में एलआईसी को घरेलू शेयर बाजार में लिस्टेड करा सकती है. इस बार के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एलआईसी की हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया था.


देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा 


आईपीओ को लेकर निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) की मदद के लिए आईपीओ लाने से पहले दो सलाहकारों की नियुक्ति किया जाएगा. माना जा रहा है कि यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा. आईपीओ लाने से पहले दीपम की मदद के लिए दो लेनदेन सलाहकारों को प्रक्रिया में शामिल करने का प्रस्ताव किया है.


इसके लिए प्रतिष्ठित पेशेवर परामर्श फर्म, निवेश बैंकर, मर्चेंट बैंकर, वित्तीय संस्थान या बैंकों से आवेदन मंगाए गए हैं.  वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक न्यूज एजेंसी से एलआईसी के प्रस्तावित आईपीओ के बारे में बात करते हुए कहा कि एलआईसी को शेयर बाजार में लिस्ट कराने से इसके संचालन में पारदर्शिता बढ़ेगी. इससे शेयर बाजार का भी विस्तार भी होगा. यह एलआईसी और इसके पालिसीधारकों के हक में ही होगा.


दूसरी ओर, रेटिंग एजेंसी फिच का कहना है कि एलआईसी के आईपीओ से पूरी इंश्योरेंस इंडस्ट्री को फायदा होगा. एलआईसी के आईपीओ आने के बाद देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी की जवाबदेही और पारर्दिशता में भी सुधार होगा और इसका फायदा पूरे बीमा उद्योग को मिलेगा. एलआईसी में विनिवेश सरकार विनिवेश कार्यक्रम को भी रफ्तार मिलेगी क्योंकि इसमें सरकार की बड़ी हिस्सेदारी है. इसे बेचने को सरकार को काफी बड़ी रकम मिलेगी, जो इस मुसीबत के दौर में अर्थव्यवस्था को संभालने में मददगार साबित हो सकती है.