LIC: भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियमों को पूरा करने के लिए सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) ने तीन साल का एक्सटेंशन दे दिया है. राज्य के स्वामित्व वाली कंपनी एलआईसी ने बुधवार को एक एक्सचेंज फाइलिंग में इस बात की जानकारी दी है. यह खबर इंवेस्टर्स के लिए राहत के रूप में आ सकती है, क्योंकि यह मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (एमपीएस) मानदंडों को पूरा करने के लिए सरकार के ऑफर फॉर सेल के बाद सप्लाई में रुकावट की संभावना को टाल देती है.
सेबी के फैसले से एलआईसी को लिस्टिंग की तारीख से पांच साल के भीतर 10 फीसदी मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग हासिल करने की मंजूरी मिल गई है. फाइलिंग में कहा गया है, "एलआईसी के लिए 10 फीसदी मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग हासिल करने की संशोधित समयसीमा 16 मई, 2027 को या उससे पहले है."
खबर के दम पर आज एलआईसी के शेयरों में उछाल
एलआईसी के शेयर आज 39.20 रुपये या 4.21 फीसदी की उछाल के साथ 970.20 रुपये पर आ गए हैं. मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के लिए समयसीमा बढ़ने की खबरों से इसके शेयरों में उछाल देखा गया है.
एलआईसी को मिली है पांच साल की समयसीमा
सेबी के नियमों के मुताबिक सभी लिस्टेड कंपनियों को 25 फीसदी मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग फ्लोट बनाए रखने की जरूरत होती है. नई लिस्टेड कंपनियों को तीन साल की अवधि दी जाती है. हालांकि 1 ट्रिलियन रुपये से ज्यादा के पोस्ट-इश्यू मार्केट कैप वाली कंपनियों के पास 25 फीसदी एमपीएस नियम को पूरा करने के लिए पांच साल की टाइमलाइन होती है.
एलआईसी में सरकार की बहुलांश हिस्सेदारी
वित्त मंत्रालय ने बीते दिसंबर में एलआईसी को 2032 तक 25 फीसदी एमपीएस (मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग) क्राइटेरिया का पालन करने से छूट दी थी. इसके बाद से पीएसयू इंश्योरेंस कंपनी के स्टॉक में तेजी देखी गई. सरकार के पास एलआईसी में 96.5 फीसदी हिस्सेदारी है. मई 2022 में केंद्र सरकार ने लगभग 21,000 करोड़ रुपये के ऑफर फॉर सेल के जरिए एलआईसी आईपीओ में 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी थी.
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