LIC IPO: रूस-यूक्रेन तनाव ( Russia-Ukraine Conflict) के चलते दुनियाभर के शेयर बाजारों ( Stock Markets) में भारी उठापटक देखी जा रही है. भारतीय शेयर बाजार ( Indian Stock Market) भी इससे अछूता नहीं है. विदेशी निवेशक ( Foreign Investors) से लेकर संस्थागत निवेशक बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं. जिससे बाजार के सेंटीमेंट पर नकारात्मक असर देखा जा रहा है. ऐसे में समय में सरकारी क्षेत्र की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी ( LIC) भारतीय आईपीओ बाजार के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ ( IPO) मार्च 2022 में लेकर लाने वाली है. 



उठापटक के दौर में एलआईसी का आईपीओ
माना जा रहा है कि एलआईसी आईपीओ ( LIC IPO) का साइज 66,000 करोड़ रुपये से बड़ा हो सकता है. लेकिन बाजार में जब इतना ज्यादा उठापटक देखा जा रहा है तो एलआईसी के आईपीओ की सफलता को लेकर प्रश्नचिन्ह भी खड़े हो रहे हैं. ये भी सवाल लोगों को मन में कौंध रहा है कि क्या बाजार में अस्थिरता के माहौल को देखते हुए सरकार एलआईसी के आईपीओ लाने के फैसले को कुछ समय के लिए टाल सकती है?  फिलहाल सरकार ने इसे लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. एलआईसी ने सेबी के पास ड्रॉफ्ट पेपर दाखिल कर दिया है और माना जा रहा है मार्च के पहले हफ्ते में एलआईसी को आईपीओ लाने की बाजार के रेग्युलेटर से मंजूरी भी मिल जाएगी. 


समय पर आएगा आईपीओ
शेयर बाजार के बिगड़े मूड के बावजूद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman) ने कहा है वैश्विक कारणों से बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद सरकार एलआईसी आईपीओ लेकर आएगी. उन्होंने कहा कि एलआईसी आईपीओ का ड्रॉफ्ट पेपर  DHRP बाहर आ चुका है इसे लेकर बाजार में तेज हलचल है. जिस प्रकार हम एयर इंडिया के मामले में आगे बढ़े ठीक उसी प्रकार इस मामले ( एलआईसी आईपीओ)  भी आगे बढ़ेंगे.     


मार्च में लिस्टिंग को लेकर गंभीर
दो दिन पहले एलआईसी के चेयरमैन एम आर कुमार ने भी कहा कि कंपनी रूस-यूक्रेन तनाव से उपजी भू-राजनीतिक स्थिति पर सावधानीपूर्वक नजर बनाए हुई है लेकिन मार्च में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) को सूचीबद्ध कराने को लेकर काफी गंभीर हम है. 


एफआईआई कर रहे बिकवाली
बाजार में उठापटक का हाल ये है कि पूर्वी यूरोप में पैदा हुए तनाव और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत दर बढ़ाये जाने की आशंका के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने फरवरी में अब तक घरेलू बाजार से शुद्ध रूप से 18,856 करोड़ रुपये की बिकवाली की है. डिपोजिटरी आंकड़ों के अनुसार विदेशी निवेशकों ने एक फरवरी से 18 फरवरी के बीच 15,342 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर और 3,629 करोड़ रुपये मूल्य के बांड बेचे हैं. जबकि इस दौरान उन्होंने केवल 115 करोड़ रुपये का ही निवेश किया है. 


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