LIC Policy: भारतीय जीवन बीमा निगम की ओर से हर उम्र की कैटेगरी के लोगों के लिए पॉलिसी पेश की गई है. इन पॉलिसी प्लान के तहत लोगों को अलग-अलग लाभ दिए जाते हैं. अगर आपने भी एलआईसी की कोई पॉलिसी (LIC Policy) खरीदी है और उसे सरेंडर करना चाहते हैं तो उससे जुड़े नियम (LIC Policy Surrender Rule) के बारे में जान लेना आवश्यक है.
एलआईसी पॉलिसी अलग-अलग कारणों से सरेंडर किया जाता है. कई बार पॉलिसी होल्डर अनजाने में कोई पॉलिसी खरीद लेते हैं और उन्हें बाद में यह लगता है कि यह पॉलिसी तो किसी काम की ही नहीं है. ऐसे में वे एलआईसी पॉलिसी को सरेंडर (Surrender LIC Policy) करने के बारे में सोचते हैं. इसके अलावा, कम मुनाफा मिलने और इमरजेंसी होने के दौरान भी पॉलिसी को सरेंडर किया जा सकता है.
पॉलिसी सरेंडर करने पर क्या है नियम
ऐसे में अगर आप भी अपने पॉलिसी को मैच्योर होने से पहले ही सरेंडर करना चाहते हैं तो यहां इससे जुड़ें नियम के बारे में जानकारी दी गई है. मैच्योरिटी से पहले एलआईसी पॉलिसी को सरेंडर करने पर इसकी वैल्यू कम कर दी जाती है. वहीं अगर आपने रेगुलर पॉलिसी ली है और उसे सरेंडर करना चाहते हैं तो आपके वैल्यू का कैलकुलेशन 3 साल तक प्रीमियम का भुगतान किए जाने पर ही किया जाएगा, लेकिन अगर आप तीन साल पहले ही पॉलिसी सरेंडर करते हैं तो कोई वैल्यू नहीं दिया जाएगा.
पॉलिसी इन दो तरीकों से किया जा सकता है सरेंडर
गारंटीड सरेंडर वैल्यू
पॉलिसी होल्डर्स को तीन साल बाद ही पॉलिसी सरेंडर करना होता है. इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि पॉलिसी धारको को तीन साल तक प्रीमियम का भुगतान करना होगा. अगर आप तीन साल के बाद सरेंडर करते हैं तो एक्सीडेंटल बेनिफिट के लिए दिए गए प्रीमियम को छोड़कर सरेंडर वैल्यू भुगतान किए गए प्रीमियम का करीब 30 फीसदी होगा. इस कारण से तीन साल बाद सरेंडर करने की सलाह दी जाती है.
स्पेशल सरेंडर वैल्यू
इसके तहत पॉलिसी कभी भी सरेंडर की जा सकती है. स्पेशल सरेंडर वैल्यू में मूल बीमा राशि, भुगतान किए गए प्रीमियम की संख्या, कुल प्रीमियम की संख्या और प्राप्त कुल बोनस आदि के आधार पर राशि का भुगतान किया जाएगा.
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