LIC Policy Surrender: जीवन बीमा या लाइफ इंश्योरेंस (Life Insurance) आपातकालीन स्थिति में वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है. अगर परिवार में मुख्य कमाने वाले व्यक्ति की अचानक मृत्यु हो जाए, तो इस स्थिति में बीमा पॉलिसी आश्रितों को आर्थिक मदद देती है. हालांकि, यह एक लॉन्ग टर्म प्लान है, जिसमें पॉलिसीधारक को कई बार प्रीमियम का समय से भुगतान करने या इमरजेंसी में अचानक पैसे के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पॉलिसी को कई बार समय से पहले सरेंडर करने की नौबत आ जाती है.


पॉलिसी सरेंडर करने के कई नुकसान


पॉलिसी सरेंडर करने से पैसा तो तुरंत मिल जाता है, लेकिन इसके नुकसान भी है. जबकि फंडिंग के अन्य विकल्पों में यह जोखिम कम रहता है. बिजनेस टुडे से बात करते हुए बीमापे फिनश्योर के को-फाउंडर और सीईओ हनुत मेहता कहते हैं, ''बीमा कंपनियां पॉलिसीधारकों को पॉलिसी सरेंडर करने के बजाय लोन लेने की भी सुविधा प्रदान करता है. इससे पॉलिसी मैच्योर होने पर बीमा कंपनियां लोन पर लगे इंटरेस्ट को काटकर बचा सारा पैसा ट्रांसफर कर देती है. यानी कि नुकसान भी कम होता है और पॉलिसी पर मिलने वाला लाभ भी बना रहता है.'' 


सरेंडर वैल्यू काटकर किया जाता भुगतान


पॉलिसी सरेंडर करने का मतलब है कि आप इस पर मिलने वाले फायदों से चूक जाते हैं जैसे कि पॉलिसीधारक की मृत्यु होने पर बीमा कंपनी के द्वारा नॉमिनी को मृत्यु लाभ की राशि का भुगतान किया जाता है, पॉलिसी मैच्योर होने पर जमा राशि बोनस के साथ मिलता है, नकद मूल्य का भी लाभ मिलता है. अगर आप पॉलिसी सरेंडर करते हैं, तो इसके मैच्योर होने पर आपको जितना फायदा मिलना होता है उससे कहीं कम मिलता है.


आमतौर पर सरेंडर वैल्यू अब तक भुगतान किए गए प्रीमियम का 30 फीसदी होता है. यानी कि बीमा कंपनी प्रीमियम के रूप में जमा राशि पर सरेंडर शुल्क काटती है. सरेंडर वैल्यू कई बीमा कंपनियों के लिए अलग-अलग हो सकती है. कई पॉलिसियां ऐसी हैं, जिनके जरिए आप टैक्स से छूट क्लेम कर सकते हैं. जबकि सरेंडर कर देने पर आपको यह लाभ नहीं मिल पाता है इसलिए पॉलिसी सरेंडर करने का फैसला बहुत सोच-समझकर करना चाहिए.   


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