LIC Rules: जीवन बीमा पॉलिसी पर इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट का फायदा मिलता है. अगर आपने 31 मार्च 2012 को या उससे पहले पत्नी, पति या फिर बच्चे के नाम पर बीमा पॉलिसी ली है तो चुकाए गए प्रीमियम पर 20 प्रतिशत तक टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं.


एलआईसी की पॉलिसी कई वजहों से बंद कराने की नौबत आ ही जाती है. प्रीमियम भरने में दिक्कत हो या फिर ग्राहक को वह पॉलिसी पर्याप्त न लगे तो उसे बंद कराने के बारे में सोचा जा सकता है. पॉलिसी बंद कराने पर आपको कुछ पैसे मिलते हैं उसे ही सरेंडर वैल्यू कहते हैं.


जरूरी बातें


अब आपको यह जरूर जानना चाहिए कि क्या वह सरेंडर वैल्यू टैक्स के दायरे में आती है या फिर नहीं? या फिर क्या हमें ITR भरते वक्त सरेंडर वैल्यू का जिक्र करना चाहिए? क्या इनकम टैक्स सरेंडर वैल्यू के हिसाब से हमसे कर वसूल सकता है?


कई लोग अक्सर एनॉमेंट प्लान लेते हैं. इस प्लान में लाइफ कवर के साथ अंत में मैच्योरिटी अमाउंट भी मिलता है. इसमें भी दो तरह के प्लान होते हैं- प्रॉफिट वाला और बिना प्रॉफिट वाला. यानी एलआईसी का फायदा होता है तो वह ग्राहकों को बोनस के रूप में मुनाफे को शेयर करती है.


मुनाफा देने की रणनीति


यह पैसा ग्राहक को समय-समय पर दिया जाात है. बिना प्रॉफिट प्लान में आखिर में मैच्योरिटी अमाउंट दिया जाता है. इन दोनों प्लान के तहत ही ग्राहकों के लिए मनी बैक प्लान, गारंटीड प्लान और पेंशन प्लान जैसी योजनाएं चलाई जाती है.


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जब भी आप इस तरह की पॉलिसी सरेंडर करने चलें तो उस पर टैक्स का नियम जरूर जानना चाहिए. अमूमन पॉलिसी पर टैक्स का यही नियम है कि अगर शुरू के 2 साल प्रीमियम पूरा चुकाया गया हो तो सरेंडर वैल्यू पर कोई टैक्स नहीं लगता. पॉलिसी कब जारी की गई है इस पर भी टैक्स का नियम लागू होता है.


अगर वो 31 मार्च 2003 के पहले की है तो वह पूरी तरह से टैक्स फ्री है. वहीं अगर पॉलिसी 1 अप्रैल 2003 से 31 मार्च 2012 के बीच की है तो सरेंडर वैल्यू पर टैक्स तभी माफ होगा जब सम एस्योर्ड की राशि प्लान के सालाना प्रीमियम से 5 गुना ज्यादा हो.


कब देना होगा टैक्स


ऐसे में अगर पॉलिसी 1 अप्रैल 2012 के बाद ली गई है तो सरेंडर वैल्यू पर टैक्स तभी माफ होगा जब सम एस्योर्ड (जितने लाख का बीमा लेते हैं) की कुल राशि सालाना प्रीमियम से 10 गुना ज्यादा हो. पॉलिसी अगर 1 अप्रैल 2003 से 31 मार्च 2012 के बीच में खरीदी गई है और किसी भी एक साल में चुकाई गई प्रीमियम की कुल राशि सम एस्योर्ड के 20 परसेंट की राशि से ज्यादा हो तो सरेंडर वैल्यू पर टैक्स देना पड़ेगा.


मान लें आपने 5 लाख के समएस्योर्ड की पॉलिसी ली है और 1 साल में अगर उसका 20 परसेंट यानी कि 1 लाख से ज्यादा का प्रीमियम भर दिया तो सरेंडर वैल्यू पर टैक्स देना पड़ेगा. यह नियम तभी लगेगा जब आप पॉलिसी बंद कराएंगे और सरेंडर वैल्यू लेंगे. पॉलिसी बंद नहीं कराने पर टैक्स का ऐसा कोई नियम लागू नहीं होता.


टैक्स का फायदा


यहां टैक्स कटने की संभावना है तो दूसरी ओर टैक्स से छूट में कमाई भी की जा सकती है. जीवन बीमा पॉलिसी पर इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत टैक्स छूट का फायदा मिलता है. अगर आपने 31 मार्च 2012 को या उससे पहले पत्नी/पति या बच्चे के नाम पर इंश्योरेंस पॉलिसी ली है तो उस पर चुकाए गए प्रीमियम में 20 प्रतिशत तक टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं.


यह नियम जीवनसाथी या बच्चे के नाम पर ली गई पॉलिसी के लिए है. अगर आपने 1 अप्रैल 2012 के बाद खुद, बच्चे, पति, पत्नी के नाम से पॉलिसी खरीदी है तो प्रीमियम राशि सम एस्योर्ड के 10 फीसदी के टैक्स फायदा के लिए योग्य है.