LIC: बिकने वाली है एलआईसी की बड़ी हिस्सेदारी, आएगा तगड़ी कमाई का मौका, निवेशक कस लें अपनी कमर
LIC Stake Sale: एलआईसी का 21,000 करोड़ रुपये का आईपीओ मई, 2022 में आया था. इस बार सरकार एफपीओ या क्यूआईपी का रास्ता अपना सकती है.
LIC Stake Sale: देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी (LIC) में सरकार अपनी हिस्सेदारी कम करने जा रही है. फिलहाल केंद्र सरकार की इस पब्लिक सेक्टर की दिग्गज कंपनी में 96.5 फीसदी हिस्सेदारी है. केंद्र सरकार इसका 5 लगभग फीसदी हिस्सा मार्केट में उपलब्ध कराने वाली है. इसके लिए फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) या क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) का रास्ता अपनाया जा सकता है. एलआईसी के आईपीओ को पर लोगों ने बहुत प्यार लुटाया था.
मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियम का करना है पालन
द हिंदू बिजनेस लाइन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (Life Insurance Corporation) में अपनी हिस्सेदारी घटाने के बारे में सरकार गंभीरता से विचार कर रही है. उन्हें मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) के मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (MPS) नियम के दायरे में एलआईसी को लाना है. इसके लिए सरकार धीरे-धीरे अपनी हिस्सेदारी एलआईसी में से कम करना चाहती है. इस रणनीति से उसे हिस्सेदारी से अच्छी कमाई हो सकती है.
मई 2022 में आया था 21,000 करोड़ रुपये का आईपीओ
एलआईसी का आईपीओ (LIC IPO) मई, 2022 में आया था. यह आईपीओ 21,000 करोड़ रुपये का था. इसे भारत का सबसे बड़ा आईपीओ माना जाता है. यह पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल के रास्ते मार्केट में उतरा था. कंपनी ने इसमें 949 रुपये के भाव से 221,374,920 इक्विटी शेयर बेचे थे. आईपीओ के जरिए सरकार ने इसमें अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी कम की थी. अब अगर सरकार एफपीओ या क्यूआईपी लाती है तो उसे और ज्यादा वैल्यूएशन हासिल होगी.
2027 तक पब्लिक शेयरहोल्डिंग 10 फीसदी करनी पड़ेगी
वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) के डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स ने 20 दिसंबर, 2023 को एलआईसी को एमपीएस नियम के दायरे में आने के लिए 10 साल का समय दे दिया था. कंपनी के पास अपनी 25 फीसदी हिस्सेदारी मार्केट में उतारने के लिए मई, 2032 तक का समय है. इसके अलावा सेबी ने 10 फीसदी पब्लिक शेयरहोल्डिंग हासिल करने के लिए एलआईसी को 3 साल का समय दिया है. इस लिमिट को हासिल करने के लिए डेडलाइन 16 मई, 2027 है.
ये भी पढ़ें
Mohammad Yunus: माइक्रोफाइनेंस के पिता, जिन्हें मिला नोबेल, अब संभालेंगे बांग्लादेश की बागडोर