मुश्किल समय हो और आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं तो ऐसी परिस्थिति में जीवन बीमा या लाइफ इंश्योरेंस हर परिवार के बेहद काम आता है. वहीं अगर परिवार में एक ही कमाने वाला सदस्य है और उसके साथ भी कुछ अनहोनी हो गई है तो इस स्थिति में जीवन बीमा उस पर आश्रित लोगों की कुछ हद तक आर्थिक तौर पर मदद कर सकता है.
बता दें कि जीवन बीमा या लाइफ इंश्योरेंस कई प्रकार का होता है. इसकी कई कैटेगरी में से एक है टर्म लाइफ इंश्योरेंस- दरअसल इस प्लान का प्राथमिक उद्देश्य पॉलिसीधारकों की मृत्यु के बाद परिवार को आय का ऑप्शन देना है. इस प्लान को एक निश्चित समय के लिए खरीदा जा सकता है मसलन 10, 20 या 30 साल के लिए. इस प्लान के तहत चुने गए एक टेनर या अवधि के लिए कवरेज दिया जाता है. हालांकि इस तरह की लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में मैच्योरिटी बैनिफिट की सुविधा नहीं दी जाती है. वहीं बता दें कि यह सेविंग्स प्रॉफिट कंपोनेंटे के बिना ही लाइफ कवर मुहैया कराती है. ऐसे में ये अन्य दूसरी पॉलिसी के मुकाबले थोड़ी सस्ती भी होती है. इस पॉलिसी टर्म के तहत अगर किसी पॉलिसी धारक का निधन हो गया है तो एश्योर्ड सम यानी एक फिक्स्ड धनराशि बेनिफिशियरी को दे दी जाती है.
पहला टर्म प्लान खरीदने से पहले रखें इन जरूरी बातों का ख्याल
1-उम्र बढ़ने के साथ ही टर्म प्लान की कॉस्ट भी बढ़ती जाती है. इसमे प्रीमियम हाई रहता है. वहीं अगर कम उम्र में ही टर्म प्लान ले लिया जाता है तो प्रीमियम भी कम ही रहता है. इसे लेने के लिए मेडिकल जांच की भी आवश्यकता नहीं होती है
2-प्लान लेने से पहले इसकी गणना भी कर लें कि आप पर आश्रित लोगों के लिए कितने कवरेज की जरूरत है. एक उपयुक्त टर्म इंश्योरेंस कवरेज आपकी सालाना आय और देनदारियों का 10-20 गुना होता है. जैसे कि यदि आपकी साल की आय 5 लाख है और 20 लाख का कर्ज है तो ऐसी स्थिति में आप 1 करोड़ के इंश्योरेंस कवर के लिए आवेदन कर सकते हैं. ये कवरेज आपके ऋण और परिवार की आकस्मिक जरूरतों को पूरा करने के लिहाज से काफी है.
3- टर्म प्लान लेने से पहले इस बात की भी गणना कर लें कि आप कितने समय तक काम कर सकते हैं. दरअसल टर्म प्लान आपके काम करने वाले साल को कवर करने वाला ही होना चाहिए, क्योंकि उसके बाद आपके पास कोई आय नहीं होगी. ऐसे में अगर आप 25 साल के हैं और 60 की उम्र तक काम करने के इच्छुक हैं तो आपको अपनी आय को कवर कराने के लिए 35 वर्ष के टेनर या अवधि के लिए आवेदन करना होगा.
4-अगर आप टर्म प्लान लेने की सोच रहे हैं तो उससे पहले विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियों के टर्म प्लान्स को भली-भांति जान भी लें. इसके बाद ही उस प्लान को चुनें जो सबसे कम प्रीमियम पर सबसे ज्यादा कवरेज देता हो.
5-इसके साथ ही टर्म प्लान लेने से पहले इंश्योरर के क्लेम सेटलमेंट रेश्यों को भी अच्छे से जान लें. बता दें कि क्लेम सेटलमेंट रेश्यो यानी एक साल में आए क्लेम्स में से कितने सेटल किए हैं उसका डाटा होता है.
ये भी पढ़ें
UPI का करते हैं इस्तेमाल तो इन बातों का रखें ध्यान, कहीं हो न जाएं फ्रॉड के शिकार
Investment Tips: आसान है गोल्ड ईटीएफ में निवेश,अच्छा रिटर्न देने में भी है आगे