पिछले एक साल के दौरान भले ही देश में ब्याज दरें तेजी से बढ़ी हों, लेकिन इससे होम लोन की डिमांड पर कोई असर नहीं पड़ा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 के दौरान 9 लाख करोड़ रुपये के कुल 34 लाख होम लोन वितरित किए गए, जिनमें से 25 लाख रुपये से कम टिकट साइज  के लोन सबसे अधिक थे.


होम लोन में आई इतनी तेजी


यह जानकारी इक्विफैक्स और एंड्रोमेडा के द्वारा खुदरा कर्ज पर किए गये एक संयुक्त अध्ययन में सामने आई है. अध्ययन के अनुसार, जनवरी 2022 से दिसंबर 2022 की अवधि के दौरान होम लोन की डिमांड में 18 फीसदी की सालाना तेजी आई. इस दौरान बैंकों, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और अन्य वित्तीय संस्थानों ने  मिलकर 9 लाख करोड़ रुपये के होम लोन बांटे. संख्या के हिसाब से भी 2022 के दौरान होम लोन में 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.


इस रिपोर्ट में सामने आई बात


इक्विफैक्स और एंड्रोमेडा ने 'इंडियन रिटेल लोन ओवरव्यू-अप्रैल 2023' नाम से रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2021 से दिसंबर 2022 तक होम लोन का कुल पोर्टफोलियो बकाया 16 फीसदी बढ़ा है. इसमें यह भी सामने आया कि पर्सनल लोन में 2022 के दौरान 57 फीसदी की भारी-भरकम वृद्धि दर्ज की. इस तरह रिटेल लोन इंडस्ट्री का साइज दिसंबर 2022 तक बढ़कर 100 लाख करोड़ रुपये हो गया.


कैटेगरी वाइज होम लोन की ग्रोथ


कुल होम लोन में 25 लाख रुपये तक की रकम वाले लोन के मामले में वृद्धि की दर 67 फीसदी हो गई. दूसरी ओर महंगे घरों की श्रेणी में यानी 75 लाख से 1 करोड़ रुपये के टिकट साइज की श्रेणी में ऋण वितरण में 36 फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई. 2021 में भी 0-25 लाख रुपये श्रेणी में सालाना वृद्धि 67 फीसदी रही थी.


इतना बढ़ा पर्सनल लोन पोर्टफोलियो


अध्ययन में पता चला है कि दिसंबर 2021 से दिसंबर 2022 तक होम लोन के बकाया पोर्टफोलियो में 16 फीदी की वृद्धि हुई. बीते सालों के दौरान पर्सनल लोन में भी तेजी आई है. पर्सनल लोन में दिसंबर 2020 से दिसंबर 2021 तक 32 फीसदी और दिसंबर 2021 से दिसंबर 2022 तक 57 फीसदी की वृद्धि देखी गई.


इन कारणों से बढ़े कर्ज लेने वाले


एंड्रोमेडा सेल्स एंड डिस्ट्रीब्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के कार्यकारी अध्यक्ष वी स्वामीनाथन ने कहा, चाहे सरकारी बैंक हों, या प्राइवेट अथवा हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां... सभी होम लोन व्यवसाय में अच्छी वृद्धि दर्ज कर रहे हैं. वहीं पर्सनल लोन की मांग में वृद्धि के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जैसे बढ़ती खपत-संचालित मांग, ऋण मिलने में आसानी और उधारदाताओं के बीच प्रतिस्पर्धा.


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