Loan on Life Insurance: जीवन बीमा लोगों और उनके परिवार को वित्तीय जोखिम से बचाने में मदद करती है. अगर आपको किसी भी तरह के पैसे की आवश्‍यकता होती है तो इसपर लोन भी प्राप्‍त किया जा सकता है. हालांकि आपको अपने जीवन बीमा पॉलिसी को गिरवी रखना होगा. एक्‍सपर्ट के मुताबिक, केवल एंडोउमेंट या मनी बैक योजनाएं ही गिरवी रख सकते हैं. टर्म प्‍लान पर लोन नहीं लिया जा सकता है. वहीं यूलिप योजनाओं पर भी कुछ बैंकों की ओर से कर्ज पाया जा सकता है. 


एक बार जब आप पॉलिसी पर लोन लेने का फैसला कर लेते हैं तो कुछ अन्‍य मानदंडों को पूरा करने की आवश्‍यकता होती है. निवेशकों को लोन की राशि तभी मिलेगी जब वे कम से कम तीन साल तक लगातार प्रीमियम का भुगतान करेंगे. इस कारण अगर पॉलिसी तीन साल से कम समय से होती है तो पॉलिसी धारक को लोन नहीं मिल सकता है. 


लोन अकाउंट और ब्‍याज 


लोन अकाउंट के लिए बीमा कंपनी से इसकी जांच करनी होगी. एक ही पॉलिसी पर अलग-अलग लोन अमाउंट मिल सकता है. आमतौर पर  बीमाकर्ता पॉलिसी के सरेंडर प्राइस का 80 से 90 फीसदी तक लोन प्रदान करते हैं. अगर किसी निवेशक के पास 10 लाख रुपये की पॉलिसी है और सरेंडर वैल्‍यू 3 लाख रुपये है तो उसे 2.4 से 2.7 लाख रुपये का लोन मिलेगा. ब्‍याज आमतौर पर 9 फीसदी से 12 फीसदी के बीच होता है. 


दस्‍तावेज संबंधी काम काफी सरल 


लोन लेने के लिए दस्‍तावेज का प्रोसेस काफी सरल होगा. बीमा कंपनी से फॉर्म भरना होगा और आपको मूल बीमा प्रति बीमाकर्ता को जमा करनी होगी. इसके अलावा आपसे पहचान आईडी और कुछ अन्‍य प्रूफ लिए जा सकते हैं. 


प्रीमियम भुगतान और लोन रिपेमेंट 


एक बार जब निवेशक को लोन मिल जाता है तो उसे उस पॉलिसी पर प्रीमियम का भुगतान जारी रखना होता है, जिसके खिलाफ उसने लोन लिया है. हर दूसरे लोन की तरह यहां भी निवेशकों को पॉलिसी की अवधि के दौरान अपना लोन चुकाना होगा. यहां पॉलिसीधारकों के पास मूल राशि के साथ या केवल ब्‍याज राशि का भुगतान करने का विकल्‍प होता है.  ऐसे मामले में जहां केवल ब्याज का भुगतान किया गया है, निपटान के समय दावा राशि से मूल राशि काट ली जाएगी. 


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