कॉरपोरेट सेक्टर आरबीआई और सरकार पर लोन री-स्ट्रक्चरिंग के लिए दबाव बनाए हुए है. ताजा संकेतों से ऐसा लगता है कि लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा गहरे संकट में फंसे सेक्टर मसलन टूरिज्म, हॉस्पेटिलिटी और रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियों को वन-टाइम लोन री-स्ट्रक्चरिंग का फायदा मिल सकता है.
वित्तीय कंपनियों के सूत्रों के मुताबिक जिन कंपनियों को सही में लोन री-स्ट्रक्चरिंग की जरूरत है. उन्हें इसका फायदा दिया जा सकता है.
री-स्ट्रक्चरिंंग से रोजगार सेक्टर में आएगी रौनक
इस समय इन कंपनियों को इसकी जरूरत है क्योंकि लॉकडाउन की वजह से इनकी कमाई काफी घट गई है. ग्राहकों की वजह से इन सेक्टरों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा. इन सेक्टरों में लोगों को सबसे ज्यादा रोजगार मिला हुआ है. इसलिए लोन री-स्ट्रक्चरिंग से कंपनियों को अपना कामकाज बढ़ाने में मदद मिलेगी. लिहाजा रोजगार भी बढ़ेगा. ज्यादा लोगों के पास नौकरियां होने से मांग में भी इजाफा होगा. इसलिए इकनॉमी के व्यापक हित को देखते हुए इस सेक्टर की कंपनियों के लोन की री-स्ट्रक्चरिंग जरूरी है.
अगले छह महीनों में हालात ठीक होने के आसार नहीं
आरबीआई के सिस्टमेटिक रिस्क सर्वे के मुताबिक कोविड-19 ने जिन सेक्टरों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, उनमें टूरिज्म, हॉस्पेटिलिटी, कंस्ट्रक्शन, रियल एस्टेट और एविएशन सेक्टर प्रमुख हैं. आरबीआई ने कहा है कि अगले छह महीनों में उनकी रिकवरी की संभावना काफी कम है.हालांकि बैंकर री-स्ट्रक्चरिंग के पक्ष में नहीं हैं.इनमें से कइयों का कहना है कि कॉरपोरेट कंपनियों ने लोन-रीस्ट्रक्चरिंग का गलत इस्तेमाल किया है.छह साल पहले बैंकों ने लोन री-कास्ट के नाम पर लंबे समय तक बैंकों के फंसे हुए कर्ज की समस्या दबाए रखी. बैंक इसके बावजूद नए लोन देते गए. 2015 में एसेट क्वालिटी की जो समीक्षा हुए उसने बैंकों और कॉरपोरेट की मिलीभगत के बहुत से कारनामों का पता चला. आरबीआई को यह सुनिश्चित करना होगा कि आगे से ऐसा न हो. कई सारी कंपनियों ने कर्ज चुकाने की क्षमता होते हुए भी लोन नहीं चुकाया.